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गौ माता भारतीय संस्कृति की धरोहर है | गाय हिंदू धर्म की परम विभूति और दिव्य संपदा है | गाय के किसी स्थान पर होने मात्र से उस स्थान में उपस्थिति पर मन में सात्विकता, सकारात्मकता और दिव्यता का एहसास होता है | गौ पर प्रहार करना, हिंदुओं को सदमा देने और उनके मेरुदंड पर प्रहार करने समान है | करोड़ों हिंदुओं की व्यक्तिगत उदासीनता, गाय की बदहाली का एक बड़ा कारण है | जब तक एक सामान्य हिन्दू गाय के प्रति अपने कर्तव्य को अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के समान नहीं समझेगा, तब तक गाय और इस भारत भूमि को पुन: प्रतिष्ठित करना असंभव है | भारत सरकार की पूर्ण ज़िम्मेदारी गौ हत्या पाबंदी की है | उसके लिए भी भारतीय जनमानस को सरकार पर दबाव डालने के लिए आंदोलन करना होगा अथवा आज के डिजिटल माध्यमों पर मुखर होना होगा जैसे सुविधाओं की कमी या घोटालों की प्रतिक्रिया में किया जाता है | गाय पवित्रता और सात्विकता की खान है | गाय के रक्त के एक बूंद गिरने से, सहस्रों भारतीयों का ख़ून खौल उठना चाहिए | भारत सरकार को भी साधारण भारतीयों को गौपालन को प्रोत्साहित करना चाहिए | सरकार का यह भी दायित्व है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा गौशालाएं अथवा गौसदन खोले जिससे सड़कों पर भटक रही लाखों-करोड़ों असहाय गायों को वास मिल सके |
स्वच्छ भारत आंदोलन की तरह गौ सेवा और गौ रक्षा को जन आंदोलन बनना होगा | एक साधारण हिंदू इतना तो कर ही सकता है कि दिनचर्या में प्रयोग होनी वाली वस्तुएँ जैसे साबुन, तेल और यहाँ तक कि कुछ दवाइयां, जो पंचगव्य या गौ माता केसे प्राप्त दूध, दहीं, घी, गौमूत्र और गोबर से बने पदार्थों का प्रयोग करे | इससे गौ माता का सशक्तिकरण होता है और उपभोक्ता को स्वास्थ्य लाभ मिलता है | ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ का मंत्र प्रत्येक जागरूक हिंदू को गौ सेवा उर गौ रक्षा के लिए अपनाना होगा यदि वो मनुष्य और गौ माता दोनों का अस्तित्व बचाने के बारे में संवेदनशील हैं |
गौ रक्षा और पूरे भारत में गौ हत्या पाबंदी - यह 100 करोड़ से ज़्यादा हिंदुओं की आवाज़ है । गाय केवल एक जीव नहीं, हिंदू संस्कृति की आत्मा है । प्रतिदिन हज़ारों गायों को मारना हमारी आत्मा पर निरंतर प्रहार करना है जिसका न्याय हम लेकर रहेंगे । सच्चे हिंदुओं को भारत में एक भी गाय की हत्या स्वीकार्य नहीं । अन्यथा पूरे भारत में बड़े स्तर के विद्रोह के लिए सरकारों को तैयार रहना चाहिए । 1000 वर्षों से ज़्यादा समय से गौ हत्या बंद होने का इंतज़ार भारत की हिंदू पुश्तें करती आ रहीं हैं । अब हिंदू अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जाग गया है । हिंदुत्व की लहर ज़ोरों पर है । हिंदुओं के धैर्य का बाण कभी भी टूट सकता है ।
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