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Sabhi Dharm Samaan Nahin Hain | Second Edition
by   Sanjay Dixit (Author)  
by   Sanjay Dixit (Author)   (show less)
Sabhi Dharm Samaan Nahin Hain | Second Edition
Product Description

-:पुस्तक परिचय:-

"संजय दीक्षित आज भारत में सबसे महत्वपूर्ण बौद्धिक और मीडिया आवाज़ों में से एक बन रहे हैं। उनकी यह पुस्तक धर्मों के बीच कई उल्लेखनीय अंतरों को व्यवस्थित, तर्कसंगत, अनुभवात्मक और संक्षिप्त तरीके से समझाती है। उन्होंने इस पुस्तक में बताया है कि विभिन्न धर्म मनुष्य, समाज, ज्ञान, ब्रह्मांड की प्रकृति और जीवन के वास्तविक लक्ष्य को कैसे देखते हैं। यह पुस्तक भावना या राजनीतिक विचार का उत्पाद नहीं है, बल्कि अच्छी तरह से सोची-समझी स्पष्टता और विवेक से उत्पन्न होती है। लेखक किसी भी तरह की बकवास को बढ़ावा नहीं दे रहें हैं, किसी भी धर्म के आगे झुक नहीं रहे हैं, या किसी को नाराज़ न करने के लिए धर्मों के बीच प्रमुख अंतरों को अनदेखा नहीं कर रहे हैं। वह आंतरिक और बाहरी, व्यक्तिगत और सामूहिक, मानवीय और ब्रह्मांडीय स्तरों पर धर्मों के बीच मूलभूत अंतरों को प्रकट करते हैं, बिल्कुल एक वैज्ञानिक प्रवचन की तरह।

वह हिंदू धर्म और सनातन धर्म को अपने आप में प्रस्तुत करते हैं, न कि अनुचित अब्राहमिक अवधारणाओं का उपयोग करके एकेश्वरवादी शब्दावली के अनुसार। वह बताते हैं कि कैसे सनातन धर्म सार्वभौमिक ज्ञान की एक संपूर्ण प्रणाली बनाता है, जिसके लिए सामाजिक, वैज्ञानिक या आध्यात्मिक रूप से मान्य होने के लिए विपरीत धर्मों की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है।"

पद्म भूषण डॉ. डेविड फ्रॉली (पंडित वामदेव शास्त्री)

"जबकि तुलनात्मक धर्म पश्चिम में अध्ययन का एक सामान्य विषय है, धर्म परंपराओं के दृष्टिकोण से इस पर बहुत कम किताबें लिखी गई हैं। संजय दीक्षित ने अपने विशाल ज्ञान और

अंतर्दृष्टि को इस पुस्तक में लाया है जिसे पढ़ना आसान है और इसे छोड़ना मुश्किल है।"

संक्रांत सानू, लेखक, अंग्रेजी माधयम का भ्रमजाल

Product Details
ISBN 13 9788199289536
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 168
Edition Second Edition
GAIN 27JNZZ3EDAG
Publishers Garuda Prakashan  
Category Religion & Spirituality   Religious Studies  
Weight 160.00 g
Dimension 14.00 x 22.00 x 1.10

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-:पुस्तक परिचय:-

"संजय दीक्षित आज भारत में सबसे महत्वपूर्ण बौद्धिक और मीडिया आवाज़ों में से एक बन रहे हैं। उनकी यह पुस्तक धर्मों के बीच कई उल्लेखनीय अंतरों को व्यवस्थित, तर्कसंगत, अनुभवात्मक और संक्षिप्त तरीके से समझाती है। उन्होंने इस पुस्तक में बताया है कि विभिन्न धर्म मनुष्य, समाज, ज्ञान, ब्रह्मांड की प्रकृति और जीवन के वास्तविक लक्ष्य को कैसे देखते हैं। यह पुस्तक भावना या राजनीतिक विचार का उत्पाद नहीं है, बल्कि अच्छी तरह से सोची-समझी स्पष्टता और विवेक से उत्पन्न होती है। लेखक किसी भी तरह की बकवास को बढ़ावा नहीं दे रहें हैं, किसी भी धर्म के आगे झुक नहीं रहे हैं, या किसी को नाराज़ न करने के लिए धर्मों के बीच प्रमुख अंतरों को अनदेखा नहीं कर रहे हैं। वह आंतरिक और बाहरी, व्यक्तिगत और सामूहिक, मानवीय और ब्रह्मांडीय स्तरों पर धर्मों के बीच मूलभूत अंतरों को प्रकट करते हैं, बिल्कुल एक वैज्ञानिक प्रवचन की तरह।

वह हिंदू धर्म और सनातन धर्म को अपने आप में प्रस्तुत करते हैं, न कि अनुचित अब्राहमिक अवधारणाओं का उपयोग करके एकेश्वरवादी शब्दावली के अनुसार। वह बताते हैं कि कैसे सनातन धर्म सार्वभौमिक ज्ञान की एक संपूर्ण प्रणाली बनाता है, जिसके लिए सामाजिक, वैज्ञानिक या आध्यात्मिक रूप से मान्य होने के लिए विपरीत धर्मों की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है।"

पद्म भूषण डॉ. डेविड फ्रॉली (पंडित वामदेव शास्त्री)

"जबकि तुलनात्मक धर्म पश्चिम में अध्ययन का एक सामान्य विषय है, धर्म परंपराओं के दृष्टिकोण से इस पर बहुत कम किताबें लिखी गई हैं। संजय दीक्षित ने अपने विशाल ज्ञान और

अंतर्दृष्टि को इस पुस्तक में लाया है जिसे पढ़ना आसान है और इसे छोड़ना मुश्किल है।"

संक्रांत सानू, लेखक, अंग्रेजी माधयम का भ्रमजाल

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ISBN 13 9788199289536
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 168
Edition Second Edition
GAIN 27JNZZ3EDAG
Publishers Garuda Prakashan  
Category Religion & Spirituality   Religious Studies  
Weight 160.00 g
Dimension 14.00 x 22.00 x 1.10

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