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ABOUT THE BOOK:
किसी संस्कृति का उद्भव एक अकस्मात् घटना न होकर एक सतत एवं अनवरत प्रक्रिया का परिणाम होता है। उद्भव के उपरान्त इसकी निरन्तरता अथवा इसका पराभव इस संस्कृति की वैचारिक जड़ों की गहराइयों पर निर्भर करता है। इसे धारण करने वाले व्यक्तियों के उपलब्ध विचार ही इन जड़ों की गहराई के आकलन का एक अकाट्य आधार हैं । देश-काल जनित विभिन्न परिस्थितियों में सहस्राब्दियों पुरानी सभ्यता के जनक और पोषक व्यक्तियों के विचारों के विस्तार की दशा-दिशा की समझ निश्चित रूप से हमारी संस्कृति एवं इसकी जड़ों के सन्दर्भ में हमारी समझ को और भी उन्नत बनाने का सामर्थ्य रखती है।
ISBN 13 | 9798885752251 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2025 |
Total Pages | 216 |
Edition | 2nd |
GAIN | B6N49OTUZZS |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Historical Fiction |
Weight | 220.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 2.00 |
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ABOUT THE BOOK:
किसी संस्कृति का उद्भव एक अकस्मात् घटना न होकर एक सतत एवं अनवरत प्रक्रिया का परिणाम होता है। उद्भव के उपरान्त इसकी निरन्तरता अथवा इसका पराभव इस संस्कृति की वैचारिक जड़ों की गहराइयों पर निर्भर करता है। इसे धारण करने वाले व्यक्तियों के उपलब्ध विचार ही इन जड़ों की गहराई के आकलन का एक अकाट्य आधार हैं । देश-काल जनित विभिन्न परिस्थितियों में सहस्राब्दियों पुरानी सभ्यता के जनक और पोषक व्यक्तियों के विचारों के विस्तार की दशा-दिशा की समझ निश्चित रूप से हमारी संस्कृति एवं इसकी जड़ों के सन्दर्भ में हमारी समझ को और भी उन्नत बनाने का सामर्थ्य रखती है।
ISBN 13 | 9798885752251 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2025 |
Total Pages | 216 |
Edition | 2nd |
GAIN | B6N49OTUZZS |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Historical Fiction |
Weight | 220.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 2.00 |
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Garuda Prakashan
₹339.00
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