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Rukka Bai ka kotha: Save Women Read RUKKA BAI KA KOTHA
by   Ravindra Shrivastava (Author)  
by   Ravindra Shrivastava (Author)   (show less)
Rukka Bai ka kotha
Product Description

-:किताब के बारे में:-

तब आधी रात के बाद घुप्प अंधेरे में, इन्हीं कोठों के भीतर से ला इलाज गनोरिया, सिफलिस आदि जानलेवा रोगों के काले कफन ओढ़े धंधेवालियों की लाशें बड़े ही गुप्त ढंग से निकलतीं। कोठों के भीतर उनकी साथिन धंधेवालियां आदि अपने सीने पीटती, रुदन को सीने के भीतर ही दफन कर सूनी आंखों से उन्हें चुपचाप अंतिम विदाई देतीं। उनकी असह्य पीड़ादायक मौत से मर्माहत पहलवान व दलाल नम आंखों उनकी लाशों को कंधे पर लादे, सबकी नजरें बचाते निकलते और चुपचाप सोनामंडी के पिछवाड़े की तरफ स्थित सुनसान, झाड़ों पेड़ो से घिरे बियावान में जा कर उनकी लाशें दफन कर आते। दूसरे दिन शाम होते ही लड़‌कियां सज-धज कर अंग-प्रदर्शक उत्तेजक कपड़े पहने बाजार या सड़क पर खड़ी हो ग्राहकों को पटाने में जुट जातीं। कभी अश्लील, उत्तेजक इशारे करतीं तो कभी पल भर को अपने अंग पर से कपड़ा हटा कर उन्हें ललचाती- यह जानते हुए भी कि एक दिन उनका भी ऐसा ही, शायद इससे भी भयानक व दुखद, अंत होने वाला है।

इन्हीं कोठों के किसी केबिन में किसी धंधेवाली के साथ अपने खोखले पौरुषत्व का बल- प्रदर्शन करते ग्राहक को पता ही नहीं रहता कि उसी चारपाई के नीचे चादर से ढंकी एक धंधेवाली की लाश छिपा कर रखी है और चारपाई के ऊपर लेटी लड़की उसे, कुछ रुपयों के बदले, दैहिक सुख के साथ-साथ सिफलिस, गनोरिया के प्रसाद भी दे रही है।

कोठों और धंधेवालियों की दारुण जिंदगी, शारीरिक शोषण, सड़ांध भरी दुनिया की भयावनी तस्वीरें उकेरती निम्मो की, जिसे 12 वर्ष की उम्र में कोठे पर बिठा दिया गया था, बदनसीबी और जिजीविषा की, मन को बुरी तरह से झकझोरने व गहराई तक छू लेने वाली रोमांचक दास्तान, जो हर पल आपको बांधे और आपके दिलोदिमाग को कुरेदती और बेचैन बनाये रखती है...

Product Details
ISBN 13 9798885752480
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 380
Edition First
GAIN MYJ98R1LE5V
Publishers Rati : An Imprint Of Garuda Prakashan  
Category Contemporary Fiction   Literature & Fiction  
Weight 300.00 g
Dimension 14.00 x 22.00 x 2.50

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-:किताब के बारे में:-

तब आधी रात के बाद घुप्प अंधेरे में, इन्हीं कोठों के भीतर से ला इलाज गनोरिया, सिफलिस आदि जानलेवा रोगों के काले कफन ओढ़े धंधेवालियों की लाशें बड़े ही गुप्त ढंग से निकलतीं। कोठों के भीतर उनकी साथिन धंधेवालियां आदि अपने सीने पीटती, रुदन को सीने के भीतर ही दफन कर सूनी आंखों से उन्हें चुपचाप अंतिम विदाई देतीं। उनकी असह्य पीड़ादायक मौत से मर्माहत पहलवान व दलाल नम आंखों उनकी लाशों को कंधे पर लादे, सबकी नजरें बचाते निकलते और चुपचाप सोनामंडी के पिछवाड़े की तरफ स्थित सुनसान, झाड़ों पेड़ो से घिरे बियावान में जा कर उनकी लाशें दफन कर आते। दूसरे दिन शाम होते ही लड़‌कियां सज-धज कर अंग-प्रदर्शक उत्तेजक कपड़े पहने बाजार या सड़क पर खड़ी हो ग्राहकों को पटाने में जुट जातीं। कभी अश्लील, उत्तेजक इशारे करतीं तो कभी पल भर को अपने अंग पर से कपड़ा हटा कर उन्हें ललचाती- यह जानते हुए भी कि एक दिन उनका भी ऐसा ही, शायद इससे भी भयानक व दुखद, अंत होने वाला है।

इन्हीं कोठों के किसी केबिन में किसी धंधेवाली के साथ अपने खोखले पौरुषत्व का बल- प्रदर्शन करते ग्राहक को पता ही नहीं रहता कि उसी चारपाई के नीचे चादर से ढंकी एक धंधेवाली की लाश छिपा कर रखी है और चारपाई के ऊपर लेटी लड़की उसे, कुछ रुपयों के बदले, दैहिक सुख के साथ-साथ सिफलिस, गनोरिया के प्रसाद भी दे रही है।

कोठों और धंधेवालियों की दारुण जिंदगी, शारीरिक शोषण, सड़ांध भरी दुनिया की भयावनी तस्वीरें उकेरती निम्मो की, जिसे 12 वर्ष की उम्र में कोठे पर बिठा दिया गया था, बदनसीबी और जिजीविषा की, मन को बुरी तरह से झकझोरने व गहराई तक छू लेने वाली रोमांचक दास्तान, जो हर पल आपको बांधे और आपके दिलोदिमाग को कुरेदती और बेचैन बनाये रखती है...

Product Details
ISBN 13 9798885752480
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 380
Edition First
GAIN MYJ98R1LE5V
Publishers Rati : An Imprint Of Garuda Prakashan  
Category Contemporary Fiction   Literature & Fiction  
Weight 300.00 g
Dimension 14.00 x 22.00 x 2.50

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