रवीन्द्र श्रीवास्तव (जन्म 1 जून, 1943) इलाहाबाद विवि से 1965 में एमए, लिंग्विस्टिक स्ट्रक्चर ऑफ हिदी जर्नलिज्म' विषय पर पीएचडी केलिए शोध- कार्य, लेकिन 'धर्मयुग व अन्य कामों में अति व्यस्तता के कारण अधूरा | अब इसी विषय पर पुस्तक । 1963 से 'दैनिक भारत' (इलाहाबाद) में पत्रकारिता की शुरुआत । 'धर्मयुग', 'नवभारत टाइम्स' (उपसंपादक), 'साप्ताहिक हिंदुस्तान' (सहायक संपादक), 'नवभारत' (समाचार संपादक), फिर 'वनिता भारती', 'शिक' (महिला पत्रिकाएं), 'बायस्कोप' (फिल्म पत्रिका) एवं अन्य पत्रिकाओं के संपादक । मित्र प्रकाशन (माया मनोरमा, मनोहर कहानियां, प्रोब इंडिया आदि) के ब्यूरो चीफ अंत में 'लोकस्वामी' प्रकाशन समूह में प्रधान संपादक। संप्रति फ्रीलांस पत्रकारिता के साथ-साथ कई पत्र पत्रिकाओं के सलाहकार संपादक । धर्मयुग में व्यंग्य स्तंभ के प्रमुख के रूप में डेढ़ दर्जन से भी व्यंग्यकारों को राष्ट्रीय स्तर पर लाने का श्रेय । लेखन की शुरुआत कहानी, कविता, व्यंग्य, अंतर्राष्ट्रीय विषयों से हुई । 'धर्मयुग' में आने के बाद लेखन की धारा दूसरी तरफ मुड़ गयी अब तक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अपराध, फिल्म से ले कर तमाम विषयों पर बीस हजार से अधिक रचनाएं प्रकाशित एवं अनुदित | भारत-चीन युद्ध पर आधारित प्रथम उपन्यास 'युद्धबंदी' 1963-64 में लिखा । 'स्मगलिंग' 1973 में प्रकाशित, दूसरे ही वर्ष देश में 'मीसा' लग जाने से काफी लोकप्रिय और रिकॉर्ड बिक्री। स्मगलिंग पर किसी भी भारतीय भाषा में तब छपी पहली पुस्तक । स्व. मदन मोहन वर्मा विशिष्ट सम्मान एवं अन्य पुरस्कारों से सम्मानित ।