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संत तिरुवल्लुवर तिरुक्कुरल: जन-जन की भाषा में (Sant Tiruvalluvar Tirukkural: Jan-Jan Ki Bhasha Mein)
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)  
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)   (show less)
Sant Tiruvalluvar Tirukkural: Jan-Jan Ki Bhasha Mein
Product Description

-:पुस्तक परिचय:-

तिरुक्कुरल' आदि कबीर कहे जाने वाले दक्षिण भारत के महान संत तिरुवल्लुवर के नीति वाक्यों का संग्रह है। संत तिरुवल्लुवर के ये नीति वाक्य उस समय जब राजा राज्य किया करते थे, राजाओं द्वारा राज्य को सुचारू रूप से चलाने से संदर्भित थे, लेकिन वे आज भी उतने ही प्रासंगिक और सारगर्भित हैं। राजाओं के ही लिए नहीं अपितु साधारण जनमान्य के लिए भी ये उतने ही उपयोगी हैं।

हिन्दू जीवन पद्धति के अनुसार मनुष्य के लिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चार पुरुषार्थ सिद्ध करना उसके जीवन का लक्ष्य होता है। तिरुक्कुरल में धर्म, अर्थ और काम, इन तीनों पुरुषार्थों का विशद विवेचन किया गया है। इस ग्रन्थ का मुख्य सन्देश धर्मपूर्वक धन अर्जित कर उसके द्वारा अपनी इच्छाओं से उबर, चौथे पुरुषार्थ मोक्ष की और अग्रसर होना है।

तिरुक्कुरल में 1330 कुरल हैं जिनका भावानुवाद इस पुस्तक में 1330 पदों में ही किया गया है। इस भावानुवाद में शब्दार्थ पर जोर न देकर प्रत्येक कुरल के भाव को ग्रहण करने का प्रयास किया गया है।

पुस्तक की विशेषताएँ:

  • मूल तमिल श्लोक (कुरल) सहित भावार्थ

  • सरल, स्पष्ट और आधुनिक हिंदी भाषा में व्याख्या

  • जीवन मूल्यों, नीति, सदाचार और व्यावहारिक ज्ञान का संग्रह

  • विद्यार्थियों, अध्यापकों और आम पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी

तिरुवल्लुवर का संदेश कालातीत है—सत्य, न्याय, करुणा और सद्गुण ही मानव जीवन की वास्तविक पहचान हैं।

Product Details
ISBN 13 9798885752756
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 296
Edition First
GAIN FQM79MTN7VD
Publishers Garuda Prakashan  
Category Religion & Spirituality   Hinduism  
Weight 300.00 g
Dimension 15.50 x 23.00 x 2.00

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-:पुस्तक परिचय:-

तिरुक्कुरल' आदि कबीर कहे जाने वाले दक्षिण भारत के महान संत तिरुवल्लुवर के नीति वाक्यों का संग्रह है। संत तिरुवल्लुवर के ये नीति वाक्य उस समय जब राजा राज्य किया करते थे, राजाओं द्वारा राज्य को सुचारू रूप से चलाने से संदर्भित थे, लेकिन वे आज भी उतने ही प्रासंगिक और सारगर्भित हैं। राजाओं के ही लिए नहीं अपितु साधारण जनमान्य के लिए भी ये उतने ही उपयोगी हैं।

हिन्दू जीवन पद्धति के अनुसार मनुष्य के लिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चार पुरुषार्थ सिद्ध करना उसके जीवन का लक्ष्य होता है। तिरुक्कुरल में धर्म, अर्थ और काम, इन तीनों पुरुषार्थों का विशद विवेचन किया गया है। इस ग्रन्थ का मुख्य सन्देश धर्मपूर्वक धन अर्जित कर उसके द्वारा अपनी इच्छाओं से उबर, चौथे पुरुषार्थ मोक्ष की और अग्रसर होना है।

तिरुक्कुरल में 1330 कुरल हैं जिनका भावानुवाद इस पुस्तक में 1330 पदों में ही किया गया है। इस भावानुवाद में शब्दार्थ पर जोर न देकर प्रत्येक कुरल के भाव को ग्रहण करने का प्रयास किया गया है।

पुस्तक की विशेषताएँ:

  • मूल तमिल श्लोक (कुरल) सहित भावार्थ

  • सरल, स्पष्ट और आधुनिक हिंदी भाषा में व्याख्या

  • जीवन मूल्यों, नीति, सदाचार और व्यावहारिक ज्ञान का संग्रह

  • विद्यार्थियों, अध्यापकों और आम पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी

तिरुवल्लुवर का संदेश कालातीत है—सत्य, न्याय, करुणा और सद्गुण ही मानव जीवन की वास्तविक पहचान हैं।

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ISBN 13 9798885752756
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 296
Edition First
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Category Religion & Spirituality   Hinduism  
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Dimension 15.50 x 23.00 x 2.00

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