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यह ग्रन्थ प्राचीन भारतीय धार्मिक इतिहास के एक अल्पज्ञात किन्तु अतिशय महत्त्वपूर्ण अनुद्घाटित पक्षों को उद्घाटित करता है। वैष्णवागमों से सम्बद्ध संहिताओं, तंत्रों, आगमों का पर्यालोचन करते हुए प्रकाशित पांचरात्र संहिताओं के आधार पर वैष्णव-आगम परम्परा के महत्त्वपूर्ण पक्ष 'वैष्णवी भक्ति' पर प्रकाश डाला गया है। इस आगम परम्परा के अध्ययन के बिना वैष्णव धर्म-दर्शन के इतिहास का अवबोध संभाव्य नहीं है। वैदिक भक्ति, • आगमिक भक्ति की उत्पत्ति, अर्थवत्ता, वैष्णव आगमों में वैष्णवी भक्ति के विविध आयाम, भक्ति आन्दोलन एवं वैष्णव आचार्यों द्वारा स्थापित मतों एवं सिद्धान्तों का विवेचन किया गया है।
आशा है कि प्रस्तुत पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
शिवम कुमार मिश्र 'इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली' के छात्र रहे हैं तथा सम्प्रति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के प्राचीन इतिहास, पुरातत्त्व एवं संस्कृति विभाग में शोधरत हैं। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्राप्त कनिष्ठ शोध अध्येता वृत्ति (JRF) के साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) उत्तीर्ण की है। अध्ययनानुसंधान के क्षेत्र में अनेक शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं तथा अकादमिक कार्यों में संलग्न हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण किया है जिसमें प्रमुख हैं- केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET), बिहार माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) इत्यादि। लेखक की रुचि भारतीय धर्म दर्शन एवं सामाजिक इतिहास में है।
ISBN 13 | 9789381843505 |
Book Language | Hindi |
Binding | Hardcover |
Total Pages | 355 |
Edition | 2024 |
Publisher | Swati Publications, Delhi |
Author | Shivam Kumar Mishra |
GAIN | JQOYFDFXL2L |
Product Dimensions | 24 cm x 16.5 cm |
Weight | 814.00 g |
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यह ग्रन्थ प्राचीन भारतीय धार्मिक इतिहास के एक अल्पज्ञात किन्तु अतिशय महत्त्वपूर्ण अनुद्घाटित पक्षों को उद्घाटित करता है। वैष्णवागमों से सम्बद्ध संहिताओं, तंत्रों, आगमों का पर्यालोचन करते हुए प्रकाशित पांचरात्र संहिताओं के आधार पर वैष्णव-आगम परम्परा के महत्त्वपूर्ण पक्ष 'वैष्णवी भक्ति' पर प्रकाश डाला गया है। इस आगम परम्परा के अध्ययन के बिना वैष्णव धर्म-दर्शन के इतिहास का अवबोध संभाव्य नहीं है। वैदिक भक्ति, • आगमिक भक्ति की उत्पत्ति, अर्थवत्ता, वैष्णव आगमों में वैष्णवी भक्ति के विविध आयाम, भक्ति आन्दोलन एवं वैष्णव आचार्यों द्वारा स्थापित मतों एवं सिद्धान्तों का विवेचन किया गया है।
आशा है कि प्रस्तुत पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
शिवम कुमार मिश्र 'इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली' के छात्र रहे हैं तथा सम्प्रति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के प्राचीन इतिहास, पुरातत्त्व एवं संस्कृति विभाग में शोधरत हैं। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्राप्त कनिष्ठ शोध अध्येता वृत्ति (JRF) के साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) उत्तीर्ण की है। अध्ययनानुसंधान के क्षेत्र में अनेक शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं तथा अकादमिक कार्यों में संलग्न हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण किया है जिसमें प्रमुख हैं- केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET), बिहार माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) इत्यादि। लेखक की रुचि भारतीय धर्म दर्शन एवं सामाजिक इतिहास में है।
ISBN 13 | 9789381843505 |
Book Language | Hindi |
Binding | Hardcover |
Total Pages | 355 |
Edition | 2024 |
Publisher | Swati Publications, Delhi |
Author | Shivam Kumar Mishra |
GAIN | JQOYFDFXL2L |
Product Dimensions | 24 cm x 16.5 cm |
Weight | 814.00 g |