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विक्रमादित्य का शौर्य (Vikramaditya Ka Shaurya)
by   Geetanjali (Author)  
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Vikramaditya Ka Shaurya
Product Description

:किताब के बारे में:

चंद्रगुप्त 'विक्रमादित्य के नाम से हमारे पाठकगण अनभिज्ञ नहीं। उनका शासनकाल गुप्तवंश के स्वर्णिम युग के शिखर पर था। उनकी सभा के नवरन विद्वानों ने ही उनकी प्रशंसा में 'विक्रम और वेताल' व 'सिंहासन बतीसी' जैसी लोकप्रिय साहित्यिक रचनायें लिखकर उनके बुद्धि व बल का गुणगान किया।

किंतु शक आक्रमणकारियों के विरुद्ध जो युद्ध उनके शासकीय जीवन का प्रारंभप्रमाणित हुआ, उसकी चर्चा अधिक नहीं पाई जाती। ओज-तेज और रोमांच से भरपूर इस घटनाक्रम को कवयित्री गीतांजलि ने वीर छंद के विधान में संयोजित करके खंड-काव्य के रूप में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक का लक्ष्य है सम्राट चंद्रगुप्त के उस अतुल शौर्य का परिदर्शन करना, जो प्रजा द्वारा उनको 'विक्रमादित्य' की उपाधि दिए जाने का कारण बना।

Product Details
ISBN 13 9798885752442
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 148
Edition First
GAIN 3BDCYOPBDI6
Publishers Garuda Prakashan  
Category Indian History   History  
Weight 150.00 g
Dimension 13.00 x 21.00 x 1.50

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:किताब के बारे में:

चंद्रगुप्त 'विक्रमादित्य के नाम से हमारे पाठकगण अनभिज्ञ नहीं। उनका शासनकाल गुप्तवंश के स्वर्णिम युग के शिखर पर था। उनकी सभा के नवरन विद्वानों ने ही उनकी प्रशंसा में 'विक्रम और वेताल' व 'सिंहासन बतीसी' जैसी लोकप्रिय साहित्यिक रचनायें लिखकर उनके बुद्धि व बल का गुणगान किया।

किंतु शक आक्रमणकारियों के विरुद्ध जो युद्ध उनके शासकीय जीवन का प्रारंभप्रमाणित हुआ, उसकी चर्चा अधिक नहीं पाई जाती। ओज-तेज और रोमांच से भरपूर इस घटनाक्रम को कवयित्री गीतांजलि ने वीर छंद के विधान में संयोजित करके खंड-काव्य के रूप में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक का लक्ष्य है सम्राट चंद्रगुप्त के उस अतुल शौर्य का परिदर्शन करना, जो प्रजा द्वारा उनको 'विक्रमादित्य' की उपाधि दिए जाने का कारण बना।

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ISBN 13 9798885752442
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Total Pages 148
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