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मरुभूमि का समय सिद्ध जल प्रबंधन (MaruBhumi ka Samay Sidh jal Prabandhan)
by   Dr Meena Kumari (Author)  
by   Dr Meena Kumari (Author)   (show less)
MaruBhumi ka Samay Sidh jal Prabandhan
Product Description

-:पुस्तक परिचय:-

इस पुस्तक में मरुभूमि में जल-संरक्षण की सीख पीढ़ियों से चली आ रही प्रकृति से तालमेल बैठाने में सुंदर परंपराओं को गूँथने वाले समाज के नैसर्गिक गुणों की गाथा, जल और समाज के शताब्दियों से भावनात्मक रिश्तों के अपनत्व की कहानी है, ताकि आगत पीढ़ियों को जल- संकट से जूझना न पड़े। मरुभूमि के निवासियों के लिए वर्षा जल की एक - एक बूँद का महत्त्व गौ घृत के संचय से भी अधिक कीमती रहा है। मरु वासियों ने वर्षा जल को अमृत मान इसे अपनी लोक संस्कृति के जीवन तत्व का अभिन्न अंग बना दिया। मीना स्वयं इसी समाज का अंग हैं । उन्होंने मरुभूमि के इस विराट जल वैभव और मरुवासिओं के जीवन में इसके प्रभाव को बारीकी से समझा और वर्षा, बादल, पानी को लेकर लोक मेधा से उपजे ज्ञान को संकलित कर उसका निचोड़ इस पुस्तक में रख दिया है। पुस्तक में जल के प्रकारों (पालर, पाताल एवं रेजानी) से संबंधित जल-स्थापत्य का निर्माण तत्कालीन टेक्नोलॉजी का विस्तृत विवरण दिया है। डॉ. मीना ने अथक परिश्रम से तथ्य और साक्ष्य जुटाकर तकनीकी रूप से ग्राफ, प्रारूप, अभिलेखीय संदर्भों के भिन्न-भिन्न उदाहरणों के माध्यम से पुस्तक रूप में सुंदर विमर्श प्रस्तुत किया है। उन्होंने कथित साक्षर समाज द्वारा निरक्षर मान ली गई हमारी देशज लोक- प्रज्ञा की सुंदर बानगी प्रस्तुत की गई है। थार मरुस्थल क्षेत्र में विशाल जल प्रबंधन खड़ा करने के लिए विभिन्न भागीदारों की भूमिका पर विस्तार से अध्ययन किया है। पर्यावरण, नई बसावट से पूर्व जल प्रबंधन, वाणिज्य व्यापार, कृषि जैसे व्यापक विषयों का पुस्तक में उल्लेख किया गया है। यह पुस्तक न केवल जल को लेकर लेखिका की संवेदनशीलता को बल्कि उनके सूक्ष्म अध्ययन को भी रेखांकित करती है।

Product Details
ISBN 13 9788196560669
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2024
Total Pages 275
GAIN TDF0EQQ8ELO
Category Environmental Studies   Rural Development  
Weight 300.00 g
Dimension 14.00 x 22.00 x 2.00

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-:पुस्तक परिचय:-

इस पुस्तक में मरुभूमि में जल-संरक्षण की सीख पीढ़ियों से चली आ रही प्रकृति से तालमेल बैठाने में सुंदर परंपराओं को गूँथने वाले समाज के नैसर्गिक गुणों की गाथा, जल और समाज के शताब्दियों से भावनात्मक रिश्तों के अपनत्व की कहानी है, ताकि आगत पीढ़ियों को जल- संकट से जूझना न पड़े। मरुभूमि के निवासियों के लिए वर्षा जल की एक - एक बूँद का महत्त्व गौ घृत के संचय से भी अधिक कीमती रहा है। मरु वासियों ने वर्षा जल को अमृत मान इसे अपनी लोक संस्कृति के जीवन तत्व का अभिन्न अंग बना दिया। मीना स्वयं इसी समाज का अंग हैं । उन्होंने मरुभूमि के इस विराट जल वैभव और मरुवासिओं के जीवन में इसके प्रभाव को बारीकी से समझा और वर्षा, बादल, पानी को लेकर लोक मेधा से उपजे ज्ञान को संकलित कर उसका निचोड़ इस पुस्तक में रख दिया है। पुस्तक में जल के प्रकारों (पालर, पाताल एवं रेजानी) से संबंधित जल-स्थापत्य का निर्माण तत्कालीन टेक्नोलॉजी का विस्तृत विवरण दिया है। डॉ. मीना ने अथक परिश्रम से तथ्य और साक्ष्य जुटाकर तकनीकी रूप से ग्राफ, प्रारूप, अभिलेखीय संदर्भों के भिन्न-भिन्न उदाहरणों के माध्यम से पुस्तक रूप में सुंदर विमर्श प्रस्तुत किया है। उन्होंने कथित साक्षर समाज द्वारा निरक्षर मान ली गई हमारी देशज लोक- प्रज्ञा की सुंदर बानगी प्रस्तुत की गई है। थार मरुस्थल क्षेत्र में विशाल जल प्रबंधन खड़ा करने के लिए विभिन्न भागीदारों की भूमिका पर विस्तार से अध्ययन किया है। पर्यावरण, नई बसावट से पूर्व जल प्रबंधन, वाणिज्य व्यापार, कृषि जैसे व्यापक विषयों का पुस्तक में उल्लेख किया गया है। यह पुस्तक न केवल जल को लेकर लेखिका की संवेदनशीलता को बल्कि उनके सूक्ष्म अध्ययन को भी रेखांकित करती है।

Product Details
ISBN 13 9788196560669
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2024
Total Pages 275
GAIN TDF0EQQ8ELO
Category Environmental Studies   Rural Development  
Weight 300.00 g
Dimension 14.00 x 22.00 x 2.00

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