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-:किताब के बारे में:-
छत्रपती शिवाजी महाराजांनी त्यांच्या काळातल्या सर्व यावनी सत्तांना आव्हान देऊन त्यांना टाचेखाली 'हिंदवी स्वराज्याची' स्थापना केली. त्यांच्यावर अनेक संकटे आली. दाबून त्या सर्व संकटांना त्यांनी धीरोदात्तपणे तोंड दिले. अखाद्या दीपस्तंभाप्रमाणे ते संकटांच्या वादळात अढळ, अढळपणे अभे राहिले नि अपराजित ठरले. चहू बाजूंनी वादळे घेरतील । कुणीही सवे सोबतीला नसेल । दिशावाट सर्वस्वही हारविता । 'शिवाजी' असे मंत्र हा शक्तिदाता ।। शिवरायांच्या क्षात्रतेजाने नि वीरवृत्तीने ही अक्ती सार्थ ठरवली. त्यांचे राजकारण, त्यांची युद्धनीती आजच्या राज्यकर्त्यांना मार्गदर्शक आहे; कारण त्यांच्या राष्ट्रभक्तीला आणि धर्मनिष्ठेला नैतिकता व पौरुषत्वाची बैठक होती. त्याचा परिचय आजच्या तरुणाला व्हावा असे अितिहासाचे अभ्यासक असलेल्या लेखक द्वयींना वाटते. हेच 'शिवरायांची युद्धनीती' या ग्रंथाचे प्रयोजन.
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने समय की सभी यवुनी शक्तियों को चुनौती दी और उनके अधीन 'हिंदवी स्वराज्य' की स्थापना की। उन पर अनेक मुसीबतें आयीं। उन्होंने उन सभी कठिनाइयों का बहादुरी से सामना किया। एक प्रकाश स्तम्भ की तरह वे विपत्ति के तूफान में भी अडिग, अविचल और अपराजित रहे। तूफ़ान तुम्हें चारों ओर से घेर लेंगे। कोई भी हर किसी के साथ नहीं होगा. सब कुछ खोना दिशा का संकेत है। 'शिवजी' मंत्र शक्ति दाता है। शिवाजी की क्षत्रिय शक्ति और वीरता ने इस कृत्य को उचित ठहराया। उनकी राजनीति, उनकी युद्ध रणनीति आज के शासकों के लिए मार्गदर्शक है; क्योंकि उनकी देशभक्ति और धार्मिक भक्ति नैतिकता और पुरुषत्व से जुड़ी हुई थी। लेखक द्वय, जो इतिहास के विद्वान हैं, का मानना है कि आज के युवाओं को इससे परिचित कराया जाना चाहिए। 'शिवरायंचि युद्धनीति' पुस्तक का यही उद्देश्य है।
ISBN 13 | 9789393529787 |
Book Language | Marathi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 232 |
Edition | First |
GAIN | JP3UGLOUG8W |
Category | Indian History Indian Writing Literature Literature & Fiction |
Weight | 200.00 g |
Dimension | 14.00 x 22.00 x 2.00 |
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-:किताब के बारे में:-
छत्रपती शिवाजी महाराजांनी त्यांच्या काळातल्या सर्व यावनी सत्तांना आव्हान देऊन त्यांना टाचेखाली 'हिंदवी स्वराज्याची' स्थापना केली. त्यांच्यावर अनेक संकटे आली. दाबून त्या सर्व संकटांना त्यांनी धीरोदात्तपणे तोंड दिले. अखाद्या दीपस्तंभाप्रमाणे ते संकटांच्या वादळात अढळ, अढळपणे अभे राहिले नि अपराजित ठरले. चहू बाजूंनी वादळे घेरतील । कुणीही सवे सोबतीला नसेल । दिशावाट सर्वस्वही हारविता । 'शिवाजी' असे मंत्र हा शक्तिदाता ।। शिवरायांच्या क्षात्रतेजाने नि वीरवृत्तीने ही अक्ती सार्थ ठरवली. त्यांचे राजकारण, त्यांची युद्धनीती आजच्या राज्यकर्त्यांना मार्गदर्शक आहे; कारण त्यांच्या राष्ट्रभक्तीला आणि धर्मनिष्ठेला नैतिकता व पौरुषत्वाची बैठक होती. त्याचा परिचय आजच्या तरुणाला व्हावा असे अितिहासाचे अभ्यासक असलेल्या लेखक द्वयींना वाटते. हेच 'शिवरायांची युद्धनीती' या ग्रंथाचे प्रयोजन.
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने समय की सभी यवुनी शक्तियों को चुनौती दी और उनके अधीन 'हिंदवी स्वराज्य' की स्थापना की। उन पर अनेक मुसीबतें आयीं। उन्होंने उन सभी कठिनाइयों का बहादुरी से सामना किया। एक प्रकाश स्तम्भ की तरह वे विपत्ति के तूफान में भी अडिग, अविचल और अपराजित रहे। तूफ़ान तुम्हें चारों ओर से घेर लेंगे। कोई भी हर किसी के साथ नहीं होगा. सब कुछ खोना दिशा का संकेत है। 'शिवजी' मंत्र शक्ति दाता है। शिवाजी की क्षत्रिय शक्ति और वीरता ने इस कृत्य को उचित ठहराया। उनकी राजनीति, उनकी युद्ध रणनीति आज के शासकों के लिए मार्गदर्शक है; क्योंकि उनकी देशभक्ति और धार्मिक भक्ति नैतिकता और पुरुषत्व से जुड़ी हुई थी। लेखक द्वय, जो इतिहास के विद्वान हैं, का मानना है कि आज के युवाओं को इससे परिचित कराया जाना चाहिए। 'शिवरायंचि युद्धनीति' पुस्तक का यही उद्देश्य है।
ISBN 13 | 9789393529787 |
Book Language | Marathi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 232 |
Edition | First |
GAIN | JP3UGLOUG8W |
Category | Indian History Indian Writing Literature Literature & Fiction |
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