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कोरोना मे जिंदा रहना और आगे संवाद व सृजन को जारी रखना जो देखा सुना व महसूस किया उस दर्द को संवाद और सृजनकारों द्वारा किये गये सृजन को स्वयं के सृजन से पुस्तक में प्रस्तुत किया है। ऐसा लिखित दस्तावेज जो हमारे भूत को जानने व समझने में प्रत्येक प्रत्येक दृष्टि से सहायक है। कलाकारों, चित्रकारों, मूर्तिकारों आदि के बारे में जानने के साथ-साथ इस काल में ऑन लाइन वार्तालाप आदि का प्रभाव व इससे उपजे विचारों व उसके लाभ, गुण-दोष आदि को पुस्तक में समाविष्ट किया गया है। इसमें उल्लेखित उन सब कलाकारों, चित्रकारों, मूर्तिकारों आदि का योगदान समय, साक्ष्य व इतिहास के विभिन्न पक्षों को उजागर कर एक मील का पत्थर है। कठिनाईया सहन करते हुए वे कैसे आगे बढे। किस प्रकार समाजोपयोगी काम हुए। कोरोना काल में कैसे कला साहित्य की ओर उनके कार्य ने पृथक दिशा पकडी। क्या-क्या कैसे-विचार आये। इन सब का पुस्तक में वर्णन है। इतिहास व इसके संकलन में भावी पाठकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। कला साहित्य संगीत तथा पर्यावरण आदि के विभिन्न माध्यमों, तत्वों, मूलभूत सिद्धांतों तथा संयोजन आदि के बारे में जिसको केरोना काल गाल में समाऐं दिवंगतों ने समय-समय पर अपने व क्षेत्र विशेष के द्वारा समाज में प्रत्येक के उत्थान व संरक्षण हेतु उपयोग कर क्रियांवित किया था। दिवंगतों व उनके परिवारीय सदस्यों, मित्रों व सहयोगियों की भावना, विचारों आदि का भी परिचय भी मिल पायेगा।
ISBN 13 | 9789389984866 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2023 |
Total Pages | 116 |
Author | Dr. Shekhra Chandra Joshi |
GAIN | P5CHPWRI307 |
Product Dimensions | 5.50 x 8.50 |
Category | Books Biographies, Diaries & True Accounts Diaries |
Weight | 100.00 g |
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कोरोना मे जिंदा रहना और आगे संवाद व सृजन को जारी रखना जो देखा सुना व महसूस किया उस दर्द को संवाद और सृजनकारों द्वारा किये गये सृजन को स्वयं के सृजन से पुस्तक में प्रस्तुत किया है। ऐसा लिखित दस्तावेज जो हमारे भूत को जानने व समझने में प्रत्येक प्रत्येक दृष्टि से सहायक है। कलाकारों, चित्रकारों, मूर्तिकारों आदि के बारे में जानने के साथ-साथ इस काल में ऑन लाइन वार्तालाप आदि का प्रभाव व इससे उपजे विचारों व उसके लाभ, गुण-दोष आदि को पुस्तक में समाविष्ट किया गया है। इसमें उल्लेखित उन सब कलाकारों, चित्रकारों, मूर्तिकारों आदि का योगदान समय, साक्ष्य व इतिहास के विभिन्न पक्षों को उजागर कर एक मील का पत्थर है। कठिनाईया सहन करते हुए वे कैसे आगे बढे। किस प्रकार समाजोपयोगी काम हुए। कोरोना काल में कैसे कला साहित्य की ओर उनके कार्य ने पृथक दिशा पकडी। क्या-क्या कैसे-विचार आये। इन सब का पुस्तक में वर्णन है। इतिहास व इसके संकलन में भावी पाठकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। कला साहित्य संगीत तथा पर्यावरण आदि के विभिन्न माध्यमों, तत्वों, मूलभूत सिद्धांतों तथा संयोजन आदि के बारे में जिसको केरोना काल गाल में समाऐं दिवंगतों ने समय-समय पर अपने व क्षेत्र विशेष के द्वारा समाज में प्रत्येक के उत्थान व संरक्षण हेतु उपयोग कर क्रियांवित किया था। दिवंगतों व उनके परिवारीय सदस्यों, मित्रों व सहयोगियों की भावना, विचारों आदि का भी परिचय भी मिल पायेगा।
ISBN 13 | 9789389984866 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2023 |
Total Pages | 116 |
Author | Dr. Shekhra Chandra Joshi |
GAIN | P5CHPWRI307 |
Product Dimensions | 5.50 x 8.50 |
Category | Books Biographies, Diaries & True Accounts Diaries |
Weight | 100.00 g |
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Prakhar Goonj Publication
₹250.00

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₹250.00