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RAM KI SHAKTI PUJA
RAM KI SHAKTI PUJA
Product Description
‘राम की शक्ति पूजा’ में महाप्राण निराला के प्रबंधात्मक औदात्य से युक्त सर्वश्रेष्ठ गीति रचनाओं- राम की शक्ति पूजा, शिवा जी का पत्र, तुलसीदास, तथा सच ही है श्रीमान भोगते सुख वन में भी (पंचवटी प्रसंग) के साथ ही गीतिका एवं निराला काव्य की दार्शनिक पृष्ठभूमि, निराला का युग बोध, निराला की रस अभिव्यंजना एवं अभिव्यक्ति कौशल पर समीक्षात्मक विचार आज के संदर्भ में व्यक्त किये गये हैं। यह रचनाएं भारतीय संस्कृति के स्वत्व को व्यक्त करते हुए हमारे समाज जीवन की अस्मिता जगाकर इसके सत्य, शील, ओज, और तेज को प्रभविष्णु अभिव्यक्ति देती हैं तथा जीवन में व्याप्त कुंठा निराशा पीड़ा स्वार्थ एवं अलगाव को अपगत करते हुए एकता के सूत्र में बॉध उसे अपने चरम लक्ष्य की ओर चलने के लिए अभिप्रेरित करती हैं साथ ही मानव मंगल की प्रतिष्ठा भी। महाप्राण निराला छायावाद के अप्रतिम रचनाकार हैं जीवन में जो कुछ सत्य है, सुन्दर है, सदय और मंगल है वह निराला के साहित्य का साध्य व आराध्य है। निराला अपने काव्य अभिव्यंजन के प्रारम्भिक क्षणों से लेकर जीवन पर्यन्त आराधना और साधना की सच्चाई के साथ पूर्णतयः प्रतिबद्ध रहे हैं। उन्होंने समय के स्वार्थ को पहिचाना ही नहीं। राष्ट्र निष्ठा एवं दार्शनिक चिन्तन की गम्भीरता एवं भक्ति की अनन्य तन्मयता का परिचय अनामिका एवं परिमल से इनकी रचनाओं में हम पाने लगते हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाय तो स्वीकार कर लेना होगा कि निराला ने मानव अस्मिता से बढ़कर किसी सत्य को जाना ही नही और उसकी सदय एवं मंगलमय अभिव्यक्ति ही उनका साहित्य है।
Product Details
ISBN 13 9789386498700
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 120
Author DOCTOR RAMDAL PANDEY
Editor 2018
GAIN PZ3JRNRBZOH
Category Books   Health, Family & Personal Development   Spiritual  
Weight 200.00 g

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‘राम की शक्ति पूजा’ में महाप्राण निराला के प्रबंधात्मक औदात्य से युक्त सर्वश्रेष्ठ गीति रचनाओं- राम की शक्ति पूजा, शिवा जी का पत्र, तुलसीदास, तथा सच ही है श्रीमान भोगते सुख वन में भी (पंचवटी प्रसंग) के साथ ही गीतिका एवं निराला काव्य की दार्शनिक पृष्ठभूमि, निराला का युग बोध, निराला की रस अभिव्यंजना एवं अभिव्यक्ति कौशल पर समीक्षात्मक विचार आज के संदर्भ में व्यक्त किये गये हैं। यह रचनाएं भारतीय संस्कृति के स्वत्व को व्यक्त करते हुए हमारे समाज जीवन की अस्मिता जगाकर इसके सत्य, शील, ओज, और तेज को प्रभविष्णु अभिव्यक्ति देती हैं तथा जीवन में व्याप्त कुंठा निराशा पीड़ा स्वार्थ एवं अलगाव को अपगत करते हुए एकता के सूत्र में बॉध उसे अपने चरम लक्ष्य की ओर चलने के लिए अभिप्रेरित करती हैं साथ ही मानव मंगल की प्रतिष्ठा भी। महाप्राण निराला छायावाद के अप्रतिम रचनाकार हैं जीवन में जो कुछ सत्य है, सुन्दर है, सदय और मंगल है वह निराला के साहित्य का साध्य व आराध्य है। निराला अपने काव्य अभिव्यंजन के प्रारम्भिक क्षणों से लेकर जीवन पर्यन्त आराधना और साधना की सच्चाई के साथ पूर्णतयः प्रतिबद्ध रहे हैं। उन्होंने समय के स्वार्थ को पहिचाना ही नहीं। राष्ट्र निष्ठा एवं दार्शनिक चिन्तन की गम्भीरता एवं भक्ति की अनन्य तन्मयता का परिचय अनामिका एवं परिमल से इनकी रचनाओं में हम पाने लगते हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाय तो स्वीकार कर लेना होगा कि निराला ने मानव अस्मिता से बढ़कर किसी सत्य को जाना ही नही और उसकी सदय एवं मंगलमय अभिव्यक्ति ही उनका साहित्य है।
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ISBN 13 9789386498700
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 120
Author DOCTOR RAMDAL PANDEY
Editor 2018
GAIN PZ3JRNRBZOH
Category Books   Health, Family & Personal Development   Spiritual  
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₹280.00₹252.00
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