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kavya kalash- 3

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लघु कथा, कहानी, संस्मरण का एक और साझा संकलन आप सभी के सहयोग एवं समर्थन से आपके हाथों में आ रहा है। इस बार नाम नया है 'कथा संचय' जिसमें हमने अनेक साहित्यकारों का चयन किया जिसमें से ये 17 साहित्यकार इस संकलन का हिस्सा बने, जो इस प्रकार हैं - दिल्ली - डॉ. सरला सिंह, प्रेम वर्षा सेठी, उत्तर प्रदेश – डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र, रितु गोयल, इला सागर रस्तोगी, राजेश कुमार द्विवेदी, डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई, सुरेश बाबू मिश्रा, मध्य प्रदेश - अजय कुमार पाण्डेय, देवेन्द्र कुमार मिश्रा, निहाल छिपा, बिहार – राजेन्द्र विष्णु 'नन्हे', आसाम- जयश्री शर्मा, रूनू बरुआ 'रागिनी', गुजरात डॉ. उषा पटेल, डॉ. कुमार जे.एन.शास्त्री, वेस्ट बंगाल - डॉ. पिंकी कुमारी वागमार । सभी रचनाकारों का स्वागत है।राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से साझा संकलनों के प्रकाशन का वर्ष 2015 में हमने प्रारम्भ किया था जो प्रभु कृपा एवं आप सभी सुधी साहित्यकारों की शुभकामनाओं से निरंतर चल रहा है। प्रारंभ में 'सृजन सागर' के एक के बाद एक लगातार तीन अंक प्रकाशित हुए । तत्पश्चात एक नये नाम के साथ 'कथा कौमुदि' के दो अंक लगातार प्रकाशित किये गये और अब एक बार फिर नये नाम 'कथा संचय' के साथ आप सभी का साझा प्रयास सामने आया है।
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लघु कथा, कहानी, संस्मरण का एक और साझा संकलन आप सभी के सहयोग एवं समर्थन से आपके हाथों में आ रहा है। इस बार नाम नया है 'कथा संचय' जिसमें हमने अनेक साहित्यकारों का चयन किया जिसमें से ये 17 साहित्यकार इस संकलन का हिस्सा बने, जो इस प्रकार हैं - दिल्ली - डॉ. सरला सिंह, प्रेम वर्षा सेठी, उत्तर प्रदेश – डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र, रितु गोयल, इला सागर रस्तोगी, राजेश कुमार द्विवेदी, डॉ. भारती वर्मा बौड़ाई, सुरेश बाबू मिश्रा, मध्य प्रदेश - अजय कुमार पाण्डेय, देवेन्द्र कुमार मिश्रा, निहाल छिपा, बिहार – राजेन्द्र विष्णु 'नन्हे', आसाम- जयश्री शर्मा, रूनू बरुआ 'रागिनी', गुजरात डॉ. उषा पटेल, डॉ. कुमार जे.एन.शास्त्री, वेस्ट बंगाल - डॉ. पिंकी कुमारी वागमार । सभी रचनाकारों का स्वागत है।राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से साझा संकलनों के प्रकाशन का वर्ष 2015 में हमने प्रारम्भ किया था जो प्रभु कृपा एवं आप सभी सुधी साहित्यकारों की शुभकामनाओं से निरंतर चल रहा है। प्रारंभ में 'सृजन सागर' के एक के बाद एक लगातार तीन अंक प्रकाशित हुए । तत्पश्चात एक नये नाम के साथ 'कथा कौमुदि' के दो अंक लगातार प्रकाशित किये गये और अब एक बार फिर नये नाम 'कथा संचय' के साथ आप सभी का साझा प्रयास सामने आया है।
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