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katha kaumudi
katha kaumudi
Product Description
कथाओं का प्रचलन बहुत पुराना रहा है। कथा कहीं बच्चों का मन बहलाने का माध्यम बनी हैं तो कहीं युवाओं की प्रेरणाओं का स्रोत रही हैं। कथाओं ने कहीं तिलिस्मी ताले बन्द किए हैं तो कहीं नए-नए रास्ते खोज निकाले हैं। कथाओं के माध्यम से जनमानस का सामना कहीं भूत-प्रेतों से होता रहा है तो कहीं पर कथाएँ देवी-देवताओं के स्वर्ग लोक तक जनमानस की पहुँच करवाने में सक्षम रही हैं।'कथा-कौमुदी' भाग-1 पाठकगण के समक्ष प्रस्तुत है। पुस्तक में देश के विभिन्न प्रान्तों के रचनाकारों की हृदय-स्पृर्शी रचनाओं को सम्मिलित करते हुए मुझे संपादक के रूप में अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। मैं सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामना देता हूँ जिनकी रचनाओं को कथा कौमुदी भाग-1 में स्थान दिया गया है। पुस्तक से जुड़े सभी सम्मानित जन का आभार जिनका महनीय सहयोग पुस्तक में रहा है।श्री मनमोहन शर्मा 'शरण' प्रकाशक, मुद्रक एवं प्रधान संपादक की सहृदयता के परिणामस्वरूप पुस्तक अपने अस्तित्व में आ सकी है। श्री शर्मा का बहुत-बहुत आभार ।
Product Details
ISBN 13 9789386498076
Book Language Hindi
Binding Hardcover
Total Pages 128
Author Chief Editor Manmohan Sharma Sharan
Editor 2017
GAIN YOI1E784LS5
Category Books   Fiction   Short stories  
Weight 200.00 g

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कथाओं का प्रचलन बहुत पुराना रहा है। कथा कहीं बच्चों का मन बहलाने का माध्यम बनी हैं तो कहीं युवाओं की प्रेरणाओं का स्रोत रही हैं। कथाओं ने कहीं तिलिस्मी ताले बन्द किए हैं तो कहीं नए-नए रास्ते खोज निकाले हैं। कथाओं के माध्यम से जनमानस का सामना कहीं भूत-प्रेतों से होता रहा है तो कहीं पर कथाएँ देवी-देवताओं के स्वर्ग लोक तक जनमानस की पहुँच करवाने में सक्षम रही हैं।'कथा-कौमुदी' भाग-1 पाठकगण के समक्ष प्रस्तुत है। पुस्तक में देश के विभिन्न प्रान्तों के रचनाकारों की हृदय-स्पृर्शी रचनाओं को सम्मिलित करते हुए मुझे संपादक के रूप में अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। मैं सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामना देता हूँ जिनकी रचनाओं को कथा कौमुदी भाग-1 में स्थान दिया गया है। पुस्तक से जुड़े सभी सम्मानित जन का आभार जिनका महनीय सहयोग पुस्तक में रहा है।श्री मनमोहन शर्मा 'शरण' प्रकाशक, मुद्रक एवं प्रधान संपादक की सहृदयता के परिणामस्वरूप पुस्तक अपने अस्तित्व में आ सकी है। श्री शर्मा का बहुत-बहुत आभार ।
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