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‘जाने-अनजाने पदचिह्न' एक प्रेरणादायक काव्य संग्रह है, जो जीवन के संघर्ष, सफलता, परिवार, अनुभवों और देशभक्ति की भावनाओं को उजागर करता है। संग्रह की शीर्षक कविता 'पदचिह्न' आत्मनिर्भरता का संदेश देती है, जिसमें कवि अंधानुकरण से बचकर अपनी राह स्वयं बनाने की प्रेरणा देता है। कई दशकों से विदेश में निवास के बावजूद, कवि की मातृभूमि और भाषा के प्रति गहरी आस्था स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सरल और प्रभावशाली भाषा में रचित ये कविताएँ पाठकों को जीवन को एक नये दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती हैं।
‘काव्य संग्रह की प्रत्येक रचना एक नए विचार, नई दृष्टि और सोच को जन्म देती है। लेखनी में सरलता, सादगी और गहराई का अनोखा संगम है, जो सीधे पाठक के दिल तक पहुंचने की शक्ति रखती है।’
पद्म श्री आलोक मेहता
(संपादक लेखक)
‘पदचिह्न, कार्य ही विश्राम जैसी कविताएँ इस पुस्तक की आत्मा हैं। प्रवासी भारतीय और हम देशी, विदेश में जैसी कविताएँ प्रवासियों के अंतर्मन की भावना और देश प्रेम बखूबी प्रकट करती हैं।’
पद्म श्री डॉ. सोमा घोष
(हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका)
‘काव्य संग्रह ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ की कविताएँ जीवन के जाने-अनजाने पहलुओं का सुंदर वर्णन कर पाठकों को प्रेरित करने के साथ-साथ नई दृष्टि भी प्रदान करेंगी।’
सतीश महाना
(अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधान सभा)
ISBN 13 | 9798885752145 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 144 |
Edition | First |
GAIN | VY1PACHFC14 |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Health, Family & Personal Development Personal Transformation |
Weight | 150.00 g |
Dimension | 21.00 x 13.00 x 1.00 |
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‘जाने-अनजाने पदचिह्न' एक प्रेरणादायक काव्य संग्रह है, जो जीवन के संघर्ष, सफलता, परिवार, अनुभवों और देशभक्ति की भावनाओं को उजागर करता है। संग्रह की शीर्षक कविता 'पदचिह्न' आत्मनिर्भरता का संदेश देती है, जिसमें कवि अंधानुकरण से बचकर अपनी राह स्वयं बनाने की प्रेरणा देता है। कई दशकों से विदेश में निवास के बावजूद, कवि की मातृभूमि और भाषा के प्रति गहरी आस्था स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सरल और प्रभावशाली भाषा में रचित ये कविताएँ पाठकों को जीवन को एक नये दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती हैं।
‘काव्य संग्रह की प्रत्येक रचना एक नए विचार, नई दृष्टि और सोच को जन्म देती है। लेखनी में सरलता, सादगी और गहराई का अनोखा संगम है, जो सीधे पाठक के दिल तक पहुंचने की शक्ति रखती है।’
पद्म श्री आलोक मेहता
(संपादक लेखक)
‘पदचिह्न, कार्य ही विश्राम जैसी कविताएँ इस पुस्तक की आत्मा हैं। प्रवासी भारतीय और हम देशी, विदेश में जैसी कविताएँ प्रवासियों के अंतर्मन की भावना और देश प्रेम बखूबी प्रकट करती हैं।’
पद्म श्री डॉ. सोमा घोष
(हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका)
‘काव्य संग्रह ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ की कविताएँ जीवन के जाने-अनजाने पहलुओं का सुंदर वर्णन कर पाठकों को प्रेरित करने के साथ-साथ नई दृष्टि भी प्रदान करेंगी।’
सतीश महाना
(अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधान सभा)
ISBN 13 | 9798885752145 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 144 |
Edition | First |
GAIN | VY1PACHFC14 |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Health, Family & Personal Development Personal Transformation |
Weight | 150.00 g |
Dimension | 21.00 x 13.00 x 1.00 |
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Garuda Prakashan
₹254.00

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