My Cart
Ek Kisan putra
Roll over image to zoom in
Product Description
एक दिन मैं अपने दफ्तर में बैठा हुआ था और बाहर से कुछ आवाजें आ रही थी। सोचा एक बार जाकर देख कर आऊँ कि ये आवाज किस चीज की है।जब बाहर जाकर देखा तो एक लंबी कतार लगी थी लोगों की वो चिल्ला रहे थे कि हमारी मांगे पूरी करो। वो कोई और नहीं थे वो किसान लोग थे जो धरना प्रदर्शन कर रहे थे।उस दिन मेरे दिमाग में ख्याल आया कि किसान ही एक ऐसा इंसान है जो मिट्टी से पैदा होता है, अपनी पूरी जिंदगी मिट्टी में ही रहता है और उसी मिट्टी में दफन हो जाता है।लोग कहते है कि हम देश के लिये कुछ करना चाहते है। जरूरी नहीं कि देश के लिये सीमा पर जाकर लड़ना जरूरी है।अगर आप देश में रह कर देश की उन चीजों के खिलाफ भी आवाज उठाते हैं जो गलत है तो वो भी आपको सच्चा देशभक्त बनाती है। तरीके अलग-अलगहो सकते हैं आवाज उठाने के लिये। कुछ लोग अपने राजनैतिक फायदे के लिये, तो कुछ लोग अपने आपको चमकाने के लिये आवाज उठाते हैं।लेकिन मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है इस किताब को लिखने का। मैं किसानों का दर्द बहुत अच्छे से समझ सकता हूँ क्योंकि मैं किसानों के गाँवों से हूँ। मैं एक ऐसे गाँव से हूँ जहाँ खेती के अलावा कोई और चीज नहीं होती ।यहाँ तक कि मैं खुद एक किसान हूँ एक किसान का बेटा हूँ। मैंने ये किताब सिर्फ इसलिए लिखी है क्योंकि इसको पढ़ने वाला इंसान किसानों के दर्द को समझ पाए और वो भी किसानों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार को सहन ना करे । वो भी अपनी आवाज उठाए और किसानों को उनका हक दिलाने का काम करे ।इस किताब में मैं एक किसानी कहानी के साथ कुछ ऐसी घटनाएँ भी लिखी है जो वास्तव में घटित हुई है और उनका प्रभाव मेरे दिल पर काफी पड़ा है।
Product Details
| ISBN 13 | 9789386498793 |
| Book Language | Hindi |
| Binding | Paperback |
| Total Pages | 112 |
| Author | SHIV BHARDWAJ |
| Editor | 2018 |
| GAIN | TRVXBUG78V6 |
| Category | Books Children and Young Adults Story Books |
| Weight | 150.00 g |
Add a Review
Product Description
एक दिन मैं अपने दफ्तर में बैठा हुआ था और बाहर से कुछ आवाजें आ रही थी। सोचा एक बार जाकर देख कर आऊँ कि ये आवाज किस चीज की है।जब बाहर जाकर देखा तो एक लंबी कतार लगी थी लोगों की वो चिल्ला रहे थे कि हमारी मांगे पूरी करो। वो कोई और नहीं थे वो किसान लोग थे जो धरना प्रदर्शन कर रहे थे।उस दिन मेरे दिमाग में ख्याल आया कि किसान ही एक ऐसा इंसान है जो मिट्टी से पैदा होता है, अपनी पूरी जिंदगी मिट्टी में ही रहता है और उसी मिट्टी में दफन हो जाता है।लोग कहते है कि हम देश के लिये कुछ करना चाहते है। जरूरी नहीं कि देश के लिये सीमा पर जाकर लड़ना जरूरी है।अगर आप देश में रह कर देश की उन चीजों के खिलाफ भी आवाज उठाते हैं जो गलत है तो वो भी आपको सच्चा देशभक्त बनाती है। तरीके अलग-अलगहो सकते हैं आवाज उठाने के लिये। कुछ लोग अपने राजनैतिक फायदे के लिये, तो कुछ लोग अपने आपको चमकाने के लिये आवाज उठाते हैं।लेकिन मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है इस किताब को लिखने का। मैं किसानों का दर्द बहुत अच्छे से समझ सकता हूँ क्योंकि मैं किसानों के गाँवों से हूँ। मैं एक ऐसे गाँव से हूँ जहाँ खेती के अलावा कोई और चीज नहीं होती ।यहाँ तक कि मैं खुद एक किसान हूँ एक किसान का बेटा हूँ। मैंने ये किताब सिर्फ इसलिए लिखी है क्योंकि इसको पढ़ने वाला इंसान किसानों के दर्द को समझ पाए और वो भी किसानों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार को सहन ना करे । वो भी अपनी आवाज उठाए और किसानों को उनका हक दिलाने का काम करे ।इस किताब में मैं एक किसानी कहानी के साथ कुछ ऐसी घटनाएँ भी लिखी है जो वास्तव में घटित हुई है और उनका प्रभाव मेरे दिल पर काफी पड़ा है।
Product Details
| ISBN 13 | 9789386498793 |
| Book Language | Hindi |
| Binding | Paperback |
| Total Pages | 112 |
| Author | SHIV BHARDWAJ |
| Editor | 2018 |
| GAIN | TRVXBUG78V6 |
| Category | Books Children and Young Adults Story Books |
| Weight | 150.00 g |
Add a Review
Frequently Bought Together
Anuradha Prakashan
This Item: Ek Kisan putra
₹252.00
Choose items to buy together
Ek Kisan putra
₹280.00₹252.00
₹280.00₹252.00
Frequently Bought Together
Anuradha Prakashan
This Item: Ek Kisan putra
₹252.00
Choose items to buy together