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Divya chetna1
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सदियों से अध्यात्म भारत की संस्कृति-संस्कारों के रूप में कण-कण में विद्यमान रहा है। युग बदले-सदियाँ बदलीं किन्तु अध्यात्म आज भी हमें वही प्रेरणा देता है। अध्यात्म का हमारे जीवन में वही महत्त्व है।मन-दर्पण पर जमीं धूल को जब हम साफ करते हैं तब फिर से चकाचौंध हो उठता है और यह सब तभी हो पाता है जब चेतना जागृत हो, दिव्य हो ।अनुराधा प्रकाशन टीम द्वारा 16 वर्षों तक निरन्तर आध्यात्मिक पत्रिका 'व्यावहारिक अध्यात्म' का प्रकाशन किया जा रहा है। साथ ही साहित्य एवं राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु साझा संकलनों की श्रृंखला वर्ष 2015 में प्रारंभ की गई जिसमें काव्य-कथा-हाइकु एवं हास्य पर केंद्रित 15 संकलन प्रकाशित किये जा चुके हैं।इसी क्रम में अध्यात्म पर केंद्रित साझा संकलन 'दिव्य चेतना' का प्रारंभ किया गया। यह इसका प्रथम अंक है, जिसको अनेक प्रदेशों से सहभागी रचनाकार मिले, जिनका हम स्वागत करते हैं। विश्वविख्यात कवयित्री एवं हास्य अकादमी की चेयरपर्सन डॉ. सरोजनी प्रीतम जी की शुभकामना प्राप्त हुई, हम आभारी हैं।मैं इसके साथ ही संपादक मंडल सुश्री रूनु बरूआ 'रागिनी', डॉ. सरला सिंह, श्री जसवंत सिंह तंवर जी का धन्यवाद करता हूँ एवं संपादन सलाहकार श्रीमती कविता मल्होत्रा जी को स्नेह बनाये रखने हेतु आभार व्यक्त करता हूँ।डॉ. राम सिंह जी ने संपादक की भूमिका के लिए अपनी सहमति दी और उनके द्वारा दिए रचनात्मक सहयोग के लिए उनका आभारी हूँ।
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सदियों से अध्यात्म भारत की संस्कृति-संस्कारों के रूप में कण-कण में विद्यमान रहा है। युग बदले-सदियाँ बदलीं किन्तु अध्यात्म आज भी हमें वही प्रेरणा देता है। अध्यात्म का हमारे जीवन में वही महत्त्व है।मन-दर्पण पर जमीं धूल को जब हम साफ करते हैं तब फिर से चकाचौंध हो उठता है और यह सब तभी हो पाता है जब चेतना जागृत हो, दिव्य हो ।अनुराधा प्रकाशन टीम द्वारा 16 वर्षों तक निरन्तर आध्यात्मिक पत्रिका 'व्यावहारिक अध्यात्म' का प्रकाशन किया जा रहा है। साथ ही साहित्य एवं राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु साझा संकलनों की श्रृंखला वर्ष 2015 में प्रारंभ की गई जिसमें काव्य-कथा-हाइकु एवं हास्य पर केंद्रित 15 संकलन प्रकाशित किये जा चुके हैं।इसी क्रम में अध्यात्म पर केंद्रित साझा संकलन 'दिव्य चेतना' का प्रारंभ किया गया। यह इसका प्रथम अंक है, जिसको अनेक प्रदेशों से सहभागी रचनाकार मिले, जिनका हम स्वागत करते हैं। विश्वविख्यात कवयित्री एवं हास्य अकादमी की चेयरपर्सन डॉ. सरोजनी प्रीतम जी की शुभकामना प्राप्त हुई, हम आभारी हैं।मैं इसके साथ ही संपादक मंडल सुश्री रूनु बरूआ 'रागिनी', डॉ. सरला सिंह, श्री जसवंत सिंह तंवर जी का धन्यवाद करता हूँ एवं संपादन सलाहकार श्रीमती कविता मल्होत्रा जी को स्नेह बनाये रखने हेतु आभार व्यक्त करता हूँ।डॉ. राम सिंह जी ने संपादक की भूमिका के लिए अपनी सहमति दी और उनके द्वारा दिए रचनात्मक सहयोग के लिए उनका आभारी हूँ।
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