Menu
Category All Category
Alaukik Phool Aur Anya Chuni Hui Kahaniyan
by   Rohit Kumar Dash (Author)  
by   Rohit Kumar Dash (Author)   (show less)
Alaukik Phool Aur Anya Chuni Hui Kahaniyan
Product Description

मुझे पता नहीं था कि ऐसा बड़ा एक जाल बिछाया होगा। उस दिन मन मेरा भारी खराब था। सोचा बाहर से एक घेरा हो आऊँ। घर के भीतर भी गरमी काफी थी। चौखट और दरवाजे की दरार से माथा निकाल कर बाहर देखा। बाहर कई लड़के गिलास गिलास पी कर जोर-जोर से शोर मचा रहे थे। बाहर निकलने की मेरी हिम्मत बंधी नहीं। कहीं कोई मारने झपटे, कौन कुचल दे, कोई उठाकर ठिठोली करे, कौन हो सकता है पकड़ कर दोनोंं डैने काट कर छोड़ देगा। नहीं, बाहर चलूंगा नहीं। यह कोठा मेरे लिए स्वर्ग है। एक मात्र लड़का रहता है, जो कभी रहता है कभी नहीं। काफी कम रहता है घर पर। लड़का काफी शान्त। फिर भी दो बरसों के भीतर मैं उसे सही समझ नहीं पाया हूँ। तकिये पर माथा थमाए झरोखे की ओर ताक कर पता नहीं क्या कुछ सोचता रहता है। कभी कभार रात भर बैठे पढ़ता रहता है। पन्ना दरपन्ना लिखता जाता है। कभी भी टेबल को सजाता सहेजता नहीं। जो जहां मनचाहा बिखरा पड़ा रहता है। लड़के की फुरसत ही नहीं होती। कभी भी कानों से मकड़ी के जाले साफ नहीं करता। कभी-कभी मेरी ओर इस तरह ताके रहता है कि मैं शरम के मारे उसकी ओर देख नहीं पाता। उसके प्रति मेरी भी एक तरह से माया आ गयी है।

Product Details
ISBN 13 9789394369757
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2023
Total Pages 141
Author Rohit Kumar Dash
GAIN LDCBUCNVX1O
Product Dimensions 5.50 x 8.50
Category Books   Children and Young Adults   Story Books  
Weight 100.00 g

Add a Review

0.0
0 Reviews
Product Description

मुझे पता नहीं था कि ऐसा बड़ा एक जाल बिछाया होगा। उस दिन मन मेरा भारी खराब था। सोचा बाहर से एक घेरा हो आऊँ। घर के भीतर भी गरमी काफी थी। चौखट और दरवाजे की दरार से माथा निकाल कर बाहर देखा। बाहर कई लड़के गिलास गिलास पी कर जोर-जोर से शोर मचा रहे थे। बाहर निकलने की मेरी हिम्मत बंधी नहीं। कहीं कोई मारने झपटे, कौन कुचल दे, कोई उठाकर ठिठोली करे, कौन हो सकता है पकड़ कर दोनोंं डैने काट कर छोड़ देगा। नहीं, बाहर चलूंगा नहीं। यह कोठा मेरे लिए स्वर्ग है। एक मात्र लड़का रहता है, जो कभी रहता है कभी नहीं। काफी कम रहता है घर पर। लड़का काफी शान्त। फिर भी दो बरसों के भीतर मैं उसे सही समझ नहीं पाया हूँ। तकिये पर माथा थमाए झरोखे की ओर ताक कर पता नहीं क्या कुछ सोचता रहता है। कभी कभार रात भर बैठे पढ़ता रहता है। पन्ना दरपन्ना लिखता जाता है। कभी भी टेबल को सजाता सहेजता नहीं। जो जहां मनचाहा बिखरा पड़ा रहता है। लड़के की फुरसत ही नहीं होती। कभी भी कानों से मकड़ी के जाले साफ नहीं करता। कभी-कभी मेरी ओर इस तरह ताके रहता है कि मैं शरम के मारे उसकी ओर देख नहीं पाता। उसके प्रति मेरी भी एक तरह से माया आ गयी है।

Product Details
ISBN 13 9789394369757
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2023
Total Pages 141
Author Rohit Kumar Dash
GAIN LDCBUCNVX1O
Product Dimensions 5.50 x 8.50
Category Books   Children and Young Adults   Story Books  
Weight 100.00 g

Add a Review

0.0
0 Reviews
Alaukik Phool Aur Anya Chuni Hui Kahaniyan
by   Rohit Kumar Dash (Author)  
by   Rohit Kumar Dash (Author)   (show less)
₹350.00
₹350.00
whatsapp