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13 varshiy amar shaheed vidhyarthi ramchander
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Product Description
युवा कवि, लेखक भीम प्रसाद प्रजापति हमारे पास 1942 की घटना की चर्चा करने आये तो हमें बहुत खुशी हुई कि 75 वर्षों बाद शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी के जीवन पर किताब लिखने का सार्थक प्रयास होने जा रहा है। मुझसे भी नहीं रहा गया। 1942 में देवरिया के भारत छोड़ो आन्दोलन के दिन मैं भी मौजूद था। जो मैंने देखा-सुना मैं भी लिखकर दे रहा हूँ। आँखो-देखी – अमर शहीद रामचन्द्र आज से कुछ वर्ष पहले हमारा देश अंग्रेजों के कब्जे में था। हम गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए थे। अंग्रेजों का अत्याचार एवं जुल्म काफी हद तक पहुँच चुका था। भारत माँ की करुण क्रन्दन से खुदा का भी सिंहासन डगमगाने लगा। यह दुर्दशा खुदा से भी नहीं सहा गया। अन्तोगत्वा इस धरती पर अनेक महापुरुषों का जन्म होने लगा। गाँधी, नेहरू, सुभाष, मंगल सिंह इत्यादि महापुरुषों ने अपनी कुर्बानी देकर भारत को अंग्रेजों के पंजों से मुक्त कराया। इन्हीं शहीदों में देवरिया जनपद का एक तेरह वर्षीय बालक रामचन्द्र भी थे। जिसने आजादी की दहकती आग में कूद कर अपनी कुर्बानी देकर शहीदों की कतार में अपना स्थान बनाया।
Product Details
| ISBN 13 | 9789386498618 |
| Book Language | Hindi |
| Binding | Paperback |
| Total Pages | 52 |
| Author | BHIM PRASHAD PRAJAPATI |
| Editor | 2017 |
| GAIN | UWRDEFUAEOI |
| Category | Books Biographies, Diaries & True Accounts Biography |
| Weight | 100.00 g |
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युवा कवि, लेखक भीम प्रसाद प्रजापति हमारे पास 1942 की घटना की चर्चा करने आये तो हमें बहुत खुशी हुई कि 75 वर्षों बाद शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी के जीवन पर किताब लिखने का सार्थक प्रयास होने जा रहा है। मुझसे भी नहीं रहा गया। 1942 में देवरिया के भारत छोड़ो आन्दोलन के दिन मैं भी मौजूद था। जो मैंने देखा-सुना मैं भी लिखकर दे रहा हूँ। आँखो-देखी – अमर शहीद रामचन्द्र आज से कुछ वर्ष पहले हमारा देश अंग्रेजों के कब्जे में था। हम गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए थे। अंग्रेजों का अत्याचार एवं जुल्म काफी हद तक पहुँच चुका था। भारत माँ की करुण क्रन्दन से खुदा का भी सिंहासन डगमगाने लगा। यह दुर्दशा खुदा से भी नहीं सहा गया। अन्तोगत्वा इस धरती पर अनेक महापुरुषों का जन्म होने लगा। गाँधी, नेहरू, सुभाष, मंगल सिंह इत्यादि महापुरुषों ने अपनी कुर्बानी देकर भारत को अंग्रेजों के पंजों से मुक्त कराया। इन्हीं शहीदों में देवरिया जनपद का एक तेरह वर्षीय बालक रामचन्द्र भी थे। जिसने आजादी की दहकती आग में कूद कर अपनी कुर्बानी देकर शहीदों की कतार में अपना स्थान बनाया।
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| ISBN 13 | 9789386498618 |
| Book Language | Hindi |
| Binding | Paperback |
| Total Pages | 52 |
| Author | BHIM PRASHAD PRAJAPATI |
| Editor | 2017 |
| GAIN | UWRDEFUAEOI |
| Category | Books Biographies, Diaries & True Accounts Biography |
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