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ABOUT THE BOOK:
भारतीय और वैश्विक मीडिया दोनों ने वर्ष २००२ की गुजरात में गोधरा और उसके बाद हुई हिंसा का व्यापक रूप से वृत्तांकन किया था। हिंसा का स्वरूप, गुजरात सरकार की भूमिका, साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर काफ़ी कुछ चर्चा हुई। इस संबंध में दुनिया भर में अलग-अलग राय व्यक्त की गई। यह पुस्तक बताता हैं कि वास्तव में क्या हुआ। यह पुस्तक कष्टसाध्य मीडिया संशोधन करके तत्कालीन अखबारों की खबरें, आधिकारिक आँकडे और गहन विश्लेषण के साथ वर्ष २००२ के दंगों की पूरी सच्चाई को उजागर करती हैं, और कई ग़लत धारणाओं को दूर करती है। इस पुस्तक में सर्वोच्च न्यायलाय द्वारा गठित एस.आई.टी. के निष्कर्षों पर एक विशेष अध्याय भी है। व्यापक रूप से प्रलेखित दस्तावेजों के आधार पर किए गए तर्कों से यह पुस्तक वर्ष २००२ के दंगों पर एक विश्वकोश की तरह है—गुजरात हिंसा के बारे में आवश्यक सभी जानकारी देती है।
गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार दोषी थी, या सरकार ने दंगों को प्रभावी तरीक़े से नियंत्रित किया? क्या गोधरा के बाद के दंगे एकतरफ़ा थे, या ये सामान्य दंगे थे जिनमें दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा? क्या मीडिया में आई कुछ घटनाएँ अतिरंजित थीं, या वे असली क्रूर तथ्य थे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में गहराई से और सर्वसमावेशी तरीक़े से दिए गए हैं। केवल एक बार यह किताब पढ़ने से वाचकों को अपना मन बना लेने के लिए सारी जानकारी मिलेगी।
‘Gujarat Riots: The True Story’ मूल पुस्तक पर विख्यात व्यक्तियों की राय
“वर्ष २००२ के गुजरात दंगे अख़बारी सुर्ख़ियों में फ्रंटलाइन में छा गए, लेकिन इस प्रकार कि उनसे प्रकाश के उजाले के बजाय ज्वाला ही ज़्यादा पैदा हुई। और इससे उत्पन्न अंतरराष्ट्रीय कोलाहल के कारण नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ नफरत-अभियान हुआ, जिनको अमेरिका का विसा नकारा गया, हालाँकि वे भारत में सबसे सफल मुख्यमंत्री थे। बेरेक ओबामा को मोदी पर लगाया प्रतिबंध वापस लेना पड़ा और मोदी से मुलाकात के लिए पंक्ति में खड़ा रहना पड़ा, यह बदले हुए सत्ता समीकरणों के कारण था, २००२ के दंगों के बारे में की प्रचलित समझ में के सुधार के कारण नहीं। गुजरात दंगों के बारे में कुछ पक्षपाती स्वयंसेवी संस्थाओं और कुछ मीडिया के लोगों ने किए दुष्प्रचार का, और २००२ के दंगों की घटनाओं का सच्चा और सटीक चित्र सामने लाने के लिए एम.डी देशपांडे को सारी प्राथमिक जानकारी इकट्ठा करने का कष्टसाध्य कार्य करना पड़ा। उनके परिश्रम और कार्यों के फलस्वरूप ही निःसंशय पद्धति से यह पुस्तक सच्चाई को सबके समक्ष प्रकट करती है।”
—डॉ. कॉनराड एल्स्ट
बेल्जियम के भारतीय विशेषज्ञ
“एक प्रामाणिक शोधकर्ता, सत्य सामने लाने के लिए पुख्ता सबूत देता है और उसे सुव्यस्थित ढंग से प्रस्तुत करता है। वर्ष २००२ के गुजरात दंगों के संदर्भ में श्री एम.डी. देशपांडे ने बड़े कष्टपूर्ण ढंग से शोध कर दंगों का सम्पूर्ण चित्र अत्यंत ताकत के साथ इस पुस्तक में उजागर किया है। भारत के इतिहास में वर्ष २००२ के दंगे स्थायी तौर पर एक महत्त्वपूर्ण प्रकरण के रूप में बने रहेंगे। क्योंकि इस घटना से नरेंद्र मोदी नामक व्यक्तित्व का उदय हुआ, जिनकी आगे कुछ समय तक इस देश पर सत्ता बनी रहेगी। २००२ यह मोदी कथा का आरंभबिंदु है, लेकिन इस घटना में मोदी पर अन्याय किया गया है, ऐसा अधिकतर भारतीयों को क्यों लगा, और लोगों के मन में उनके प्रति सहानुभूति क्यों पैदा हुई, इसका भी पता चलता है। वर्ष २००२ के दंगों के बारे में जिन लोगों को सिलसिलेवार जानने की जिज्ञासा है, उनके लिए यह पुस्तक बेहद लक्षणीय दस्तावेज़ सिद्ध होगी।
—उदय माहुरकर
वरिष्ठ संपादक, इंडिया टुडे
(अक्तूबर २०१४ में यह प्रतिक्रियाएं दी गई)
ISBN 13 | 9798885750752 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 384 |
Edition | First |
GAIN | 5L2GD5HJSIP |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Books Indian Classics Bhartiye Pustakein |
Weight | 300.00 g |
Dimension | 15.50 x 23.00 x 2.50 |
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ABOUT THE BOOK:
भारतीय और वैश्विक मीडिया दोनों ने वर्ष २००२ की गुजरात में गोधरा और उसके बाद हुई हिंसा का व्यापक रूप से वृत्तांकन किया था। हिंसा का स्वरूप, गुजरात सरकार की भूमिका, साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर काफ़ी कुछ चर्चा हुई। इस संबंध में दुनिया भर में अलग-अलग राय व्यक्त की गई। यह पुस्तक बताता हैं कि वास्तव में क्या हुआ। यह पुस्तक कष्टसाध्य मीडिया संशोधन करके तत्कालीन अखबारों की खबरें, आधिकारिक आँकडे और गहन विश्लेषण के साथ वर्ष २००२ के दंगों की पूरी सच्चाई को उजागर करती हैं, और कई ग़लत धारणाओं को दूर करती है। इस पुस्तक में सर्वोच्च न्यायलाय द्वारा गठित एस.आई.टी. के निष्कर्षों पर एक विशेष अध्याय भी है। व्यापक रूप से प्रलेखित दस्तावेजों के आधार पर किए गए तर्कों से यह पुस्तक वर्ष २००२ के दंगों पर एक विश्वकोश की तरह है—गुजरात हिंसा के बारे में आवश्यक सभी जानकारी देती है।
गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार दोषी थी, या सरकार ने दंगों को प्रभावी तरीक़े से नियंत्रित किया? क्या गोधरा के बाद के दंगे एकतरफ़ा थे, या ये सामान्य दंगे थे जिनमें दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा? क्या मीडिया में आई कुछ घटनाएँ अतिरंजित थीं, या वे असली क्रूर तथ्य थे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में गहराई से और सर्वसमावेशी तरीक़े से दिए गए हैं। केवल एक बार यह किताब पढ़ने से वाचकों को अपना मन बना लेने के लिए सारी जानकारी मिलेगी।
‘Gujarat Riots: The True Story’ मूल पुस्तक पर विख्यात व्यक्तियों की राय
“वर्ष २००२ के गुजरात दंगे अख़बारी सुर्ख़ियों में फ्रंटलाइन में छा गए, लेकिन इस प्रकार कि उनसे प्रकाश के उजाले के बजाय ज्वाला ही ज़्यादा पैदा हुई। और इससे उत्पन्न अंतरराष्ट्रीय कोलाहल के कारण नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ नफरत-अभियान हुआ, जिनको अमेरिका का विसा नकारा गया, हालाँकि वे भारत में सबसे सफल मुख्यमंत्री थे। बेरेक ओबामा को मोदी पर लगाया प्रतिबंध वापस लेना पड़ा और मोदी से मुलाकात के लिए पंक्ति में खड़ा रहना पड़ा, यह बदले हुए सत्ता समीकरणों के कारण था, २००२ के दंगों के बारे में की प्रचलित समझ में के सुधार के कारण नहीं। गुजरात दंगों के बारे में कुछ पक्षपाती स्वयंसेवी संस्थाओं और कुछ मीडिया के लोगों ने किए दुष्प्रचार का, और २००२ के दंगों की घटनाओं का सच्चा और सटीक चित्र सामने लाने के लिए एम.डी देशपांडे को सारी प्राथमिक जानकारी इकट्ठा करने का कष्टसाध्य कार्य करना पड़ा। उनके परिश्रम और कार्यों के फलस्वरूप ही निःसंशय पद्धति से यह पुस्तक सच्चाई को सबके समक्ष प्रकट करती है।”
—डॉ. कॉनराड एल्स्ट
बेल्जियम के भारतीय विशेषज्ञ
“एक प्रामाणिक शोधकर्ता, सत्य सामने लाने के लिए पुख्ता सबूत देता है और उसे सुव्यस्थित ढंग से प्रस्तुत करता है। वर्ष २००२ के गुजरात दंगों के संदर्भ में श्री एम.डी. देशपांडे ने बड़े कष्टपूर्ण ढंग से शोध कर दंगों का सम्पूर्ण चित्र अत्यंत ताकत के साथ इस पुस्तक में उजागर किया है। भारत के इतिहास में वर्ष २००२ के दंगे स्थायी तौर पर एक महत्त्वपूर्ण प्रकरण के रूप में बने रहेंगे। क्योंकि इस घटना से नरेंद्र मोदी नामक व्यक्तित्व का उदय हुआ, जिनकी आगे कुछ समय तक इस देश पर सत्ता बनी रहेगी। २००२ यह मोदी कथा का आरंभबिंदु है, लेकिन इस घटना में मोदी पर अन्याय किया गया है, ऐसा अधिकतर भारतीयों को क्यों लगा, और लोगों के मन में उनके प्रति सहानुभूति क्यों पैदा हुई, इसका भी पता चलता है। वर्ष २००२ के दंगों के बारे में जिन लोगों को सिलसिलेवार जानने की जिज्ञासा है, उनके लिए यह पुस्तक बेहद लक्षणीय दस्तावेज़ सिद्ध होगी।
—उदय माहुरकर
वरिष्ठ संपादक, इंडिया टुडे
(अक्तूबर २०१४ में यह प्रतिक्रियाएं दी गई)
ISBN 13 | 9798885750752 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Publishing Year | 2024 |
Total Pages | 384 |
Edition | First |
GAIN | 5L2GD5HJSIP |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Books Indian Classics Bhartiye Pustakein |
Weight | 300.00 g |
Dimension | 15.50 x 23.00 x 2.50 |
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Garuda Prakashan
₹509.00

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