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उस पर बनी-बनाई, अच्छी-बुरी मान्यताओं से हट कर यह उन बुनियादी मुद्दों पर आधारित है, जिन से हिन्दू समाज का हित प्रभावित होता है । इस में स्वतंत्र विद्वानों, लेखकों, तथा संघ के पुराने स्वयंसेवकों के विचार शामिल हैं । साथ ही, गत दो दशक में समय-समय पर लेखक के अपने अवलोकन भी संकलित हैं । इस तरह, यह पुस्तक गत आठ दशकों में संघ परिवार की राजनीति की एक परख है । इस पड़ताल की कसौटी कोई मतवाद नहीं, वरन हिन्दू समाज का हित है।
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उस पर बनी-बनाई, अच्छी-बुरी मान्यताओं से हट कर यह उन बुनियादी मुद्दों पर आधारित है, जिन से हिन्दू समाज का हित प्रभावित होता है । इस में स्वतंत्र विद्वानों, लेखकों, तथा संघ के पुराने स्वयंसेवकों के विचार शामिल हैं । साथ ही, गत दो दशक में समय-समय पर लेखक के अपने अवलोकन भी संकलित हैं । इस तरह, यह पुस्तक गत आठ दशकों में संघ परिवार की राजनीति की एक परख है । इस पड़ताल की कसौटी कोई मतवाद नहीं, वरन हिन्दू समाज का हित है।
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Garuda Prakashan
₹324.00

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