लेखक का सम्बन्ध गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से हैं। जहां उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात संगम की भूमि प्रयागराज से राजनीति विज्ञान,दर्शनशास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद वहां की काव्यात्मक विरासत से प्रेरित हो कर लिखना प्रारंभ किया। वर्तमान में लेखक भारती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। जीवन के उतार चढ़ाओ के बीच इन्होंने विदेश नीति में शोध, प्रशासनिक सेवा की अंशतः सफल तैयारी द्वारा भावों की समग्रता प्राप्त की। इस तरह लेखक अपनी लेखनी के माध्यम से प्रेम, विछोह, संघर्ष और समाज की परतों को उकेरते हुए मन की गहराइयों तक उतरने का प्रयास करते रहे है। शब्द उनके लिए मात्र अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक पुल है—संवेदना और यथार्थ के बीच, विचारों और अनुभूतियों के बीच। "यायावर: अधूरे एहसास" उन्हीं बिखरे एहसासों का संग्रहीत रूप है, जो पाठकों को महसूस करने, सोचने और इसमें खो जाने पर मजबूर करता है।