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SIRF IMARAT NAHI सिर्फ इमारत नहीं (upanyas)

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Product Description
हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती हैं कुछ इमारतें।उनसे दूर हो जाने के बाद पता चलता है कि वे हमारे लिए कितनी अहम थीं। जाने-अनजाने वे हमारे जेहन में घूमती रहती हैं और हम जागती आंखों या फिर सपनों में उनके भीतर घूम आते हैं। मन करता है फिर वहां जाएं और उन्हें शिद्दत से महसूस करें। उनसे जुडी यादों को ताजा कर आएं और एक बार फिर से उस सब को जी लें जो कहीं बहुत पीछे छूट गया है। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. रमाकांत शर्मा का यह उपन्यास स्कूल की उन इमारतों से जुडी यादों की दास्तान है जो सिर्फ इमारतें भर नहीं होतीं, बल्कि उस अतीत का हिस्सा रही होती हैं जहां बचपन और किशोरावस्था का सबसे कीमती समय बीतता है। उम्र भर यादों में समाई रहने वाली उन्हीं इमारतों का सफर तय करने निकला है यह उपन्यास। हर व्यक्ति की स्मृति में अपने स्कूलों से जुडी बहुत सी घटनाएं, बहुत से लोग निश्चित ही समाए रहते हैं। यह अद्भुत रचना संभवतः पाठकों को अपने स्कूलों की उन्हीं चारदीवारी में ले जाए और अतीत के उन क्षणों को फिर से बिताने के अनुभव से गुजारे। रोचक शैली में लिखा यह उपन्यास निश्चित ही अपने साथ बहा ले जाने की क्षमता रखता है।
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हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती हैं कुछ इमारतें।उनसे दूर हो जाने के बाद पता चलता है कि वे हमारे लिए कितनी अहम थीं। जाने-अनजाने वे हमारे जेहन में घूमती रहती हैं और हम जागती आंखों या फिर सपनों में उनके भीतर घूम आते हैं। मन करता है फिर वहां जाएं और उन्हें शिद्दत से महसूस करें। उनसे जुडी यादों को ताजा कर आएं और एक बार फिर से उस सब को जी लें जो कहीं बहुत पीछे छूट गया है। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. रमाकांत शर्मा का यह उपन्यास स्कूल की उन इमारतों से जुडी यादों की दास्तान है जो सिर्फ इमारतें भर नहीं होतीं, बल्कि उस अतीत का हिस्सा रही होती हैं जहां बचपन और किशोरावस्था का सबसे कीमती समय बीतता है। उम्र भर यादों में समाई रहने वाली उन्हीं इमारतों का सफर तय करने निकला है यह उपन्यास। हर व्यक्ति की स्मृति में अपने स्कूलों से जुडी बहुत सी घटनाएं, बहुत से लोग निश्चित ही समाए रहते हैं। यह अद्भुत रचना संभवतः पाठकों को अपने स्कूलों की उन्हीं चारदीवारी में ले जाए और अतीत के उन क्षणों को फिर से बिताने के अनुभव से गुजारे। रोचक शैली में लिखा यह उपन्यास निश्चित ही अपने साथ बहा ले जाने की क्षमता रखता है।
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