किसी भी लेखक अथवा रचनाकार का कृतित्व ही महत्वपूर्ण होता है न कि उसका व्यक्तित्व। इसके दो मूल कारण हैं; यदि लेखक अपने व्यक्तित्व के प्रति सचेत है तो उसकी रचनाओं में सदैव उसके व्यक्तित्व की ही झलक मिलेगी, ऐसी स्थिति में उससे एक पूर्वाग्रह रहित व तटस्थ लेख अथवा कृति की आशा नहीं की जा सकती। दूसरी ओर यदि भावी पाठक के मन में लेखक के व्यक्तित्व की एक रूपरेखा पहले से बनी होगी तो वह भी निष्पक्ष भाव से लेख अथवा कृति का अध्ययन, विश्लेषण अथवा आकलन नहीं कर सकता। तथापि, प्रकाशन गृह की नियमावली का अनुसरण करते हुए संक्षिप्त परिचय चंद पंक्तियों नीचे दिया जा रहा है।
रूपांतरकार अथवा लेखक का संबंध अयोध्या से है, उनका पैतृक गाँव नगर से लगभग 30 मील दूर स्थित है। आज इस गाँव में नरेंद्र देव विश्वविद्यालय अवस्थित है। वर्तमान में उनका निवास प्रयागराज में है, जहाँ पर उनकी शिक्षा-दीक्षा सम्पन्न हुई। वह एक सरकारी महकमें में कार्यरत हैं तथा इस सिलसिले में उन्हें देश के अनेक भागों, विशेषकर उत्तर व पूर्व भारत, में कार्य करने का अवसर मिला है।
लेखक का एक अन्य कार्य ‘कश्मीर के हमलावर’ अभी हाल ही में अक्षय-प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ है। लेखक का यह विचार है कि कम से कम इतिहास का ज्ञान हमें अपनी मातृभाषा में ही होना चाहिए अन्यथा हम इतिहास पढ़ तो सकते हैं परंतु उससे कोई सीख या सबक प्राप्त नहीं कर सकते। वर्तमान कार्य इसी सोच की परिणति है।