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SAHI PAKAYE ROG BHAGAYE
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Product Description
आजके समाज-परिवार तथा वातावरण में सम्पूर्ण प्राकृतिक अपक्वाहारी बन कर रहना अपने आप में एक बहुत ही साहसपूरन उपलब्धि है ९९% लोग यह साहस नहीं करपाते हैं हमारी रगरग में पकेहुए आहार के संस्कार जड़ किये हुए हैं रोगी के उपचार के दरम्यान और रोग से मुक्त होने के बाद भी पके हुए तथा स्वादिष्टआहार के प्रति जो हर व्यक्ति के भीतर एकचाह बनी रहती है इसकी पूर्ति ना होने पर समझदारी रखते हुए भी मरीज के दिल के किसी कोने में उदासी छायी रहती है जिसका प्रभाव निश्चय ही उसके रोग के शीघ्र सुधार में बाधा डालता है इन्हीं कठिनाइयों के देखते हुए यहपुस्तक लिखी गयी है पके हुए आहार से हम संपूर्ण पोषण तो पानहीं सकते परन्तु पकाने की सही विधि जानकर हम पोषण को बर्बाद होने से तो बचा ही सकते हैं इस पुस्तक में केवल ऐसे ही पके हुये व्यंजन बताये गए हैं जो रोग मुक्ति में कमसे कम बाधा बन सक तथा जीवन भर स्वस्थ तथा रोग मुक्त रहने में उपयोगी साबित हों तथा असली स्वाद का आनंद भी दे सके
Product Details
ISBN 13 9789385385070
Book Language Hindi
Binding Paperback
Author DR. N K SHARMA
GAIN 05M1FYLNFCN
Category Indian Classics   Bhartiye Pustakein  
Weight 200.00 g
Dimension 12.00 x 21.00 x 2.00

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आजके समाज-परिवार तथा वातावरण में सम्पूर्ण प्राकृतिक अपक्वाहारी बन कर रहना अपने आप में एक बहुत ही साहसपूरन उपलब्धि है ९९% लोग यह साहस नहीं करपाते हैं हमारी रगरग में पकेहुए आहार के संस्कार जड़ किये हुए हैं रोगी के उपचार के दरम्यान और रोग से मुक्त होने के बाद भी पके हुए तथा स्वादिष्टआहार के प्रति जो हर व्यक्ति के भीतर एकचाह बनी रहती है इसकी पूर्ति ना होने पर समझदारी रखते हुए भी मरीज के दिल के किसी कोने में उदासी छायी रहती है जिसका प्रभाव निश्चय ही उसके रोग के शीघ्र सुधार में बाधा डालता है इन्हीं कठिनाइयों के देखते हुए यहपुस्तक लिखी गयी है पके हुए आहार से हम संपूर्ण पोषण तो पानहीं सकते परन्तु पकाने की सही विधि जानकर हम पोषण को बर्बाद होने से तो बचा ही सकते हैं इस पुस्तक में केवल ऐसे ही पके हुये व्यंजन बताये गए हैं जो रोग मुक्ति में कमसे कम बाधा बन सक तथा जीवन भर स्वस्थ तथा रोग मुक्त रहने में उपयोगी साबित हों तथा असली स्वाद का आनंद भी दे सके
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