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Rashtra Naayak Netaji Subhash Chandra Bose
by   Dharmpal Bhardwaj (Author)  
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Rashtra Naayak Netaji Subhash Chandra Bose
Product Description
पश्चिम बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक कर दी हैं। इनमें 1937 से 1947 के बीच के उनसे जुड़े खुफिया दस्तावेज शामिल हैं। लेकिन इसके बाद अब नेता जी से जुड़े अन्य दस्तावेज भी सार्वजनिक किए जाने की मांग तेज हो गई है, जिनमें ज्यादातर केंद्र सरकार के पास हैं। भारत के स्वाधीनता सेनानियों में जितने रहस्य नेताजी को लेकर बने हुए हैं, उतने किसी और को लेकर नहीं हैं। नेताजी ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 1942 में अपने घर में नजरबंद किए गए थे। वहाँ से गुपचुप निकल जाने के एक साल बाद उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया। देश की आजादी के लिए अपनी तरह से प्रयत्न करने वाले इस स्वाधीनता सेनानी की कोशिश ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में जर्मनी और जापान से मदद लेने की थी। इसे आधार बनाकर मित्र राष्ट्रों ने उन पर नाजीवादी या फासिस्ट होने का संदेह व्यक्त किया था। 1945 में हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु को लेकर स्थितियाँ कभी स्पष्ट नहीं हो पाईं। लोगों की उत्सुकता को देखते हुए 1956 के बाद इस मामले की जांच के लिए तीन शक्तिशाली आयोग गठित किए गए। इनमें शाहनवाज कमेटी और खोसला आयोग ने सही संपर्कों से जानकारी लिए बगैर ही यह मान लिया था कि उनकी मौत ताइवान के ताईहोक एयरबेस पर हुई थी। तीसरे, यानी मुखर्जी आयोग ने ताइवान सरकार से संपर्क किया तो उसने ऐसे किसी हादसे की सूचना से इनकार किया। बहरहाल, आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने महत्त्व नहीं दिया और वह खारिज हो गई। मुखर्जी उल्लेखनीय है कि नेता जी के परिवार के पत्र व्यवहार को देश की इंटेलिजेंस एजेंसियाँ काफी समय तक ट्रैक करती रहीं।
Product Details
ISBN 13 9788196097073
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 160
Author Dharmpal Bhardwaj
Editor 2023
GAIN IC6HK6Z94T8
Product Dimensions 5.50 x 8.50
Category Packages   Historical Books Package  
Weight 100.00 g

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पश्चिम बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक कर दी हैं। इनमें 1937 से 1947 के बीच के उनसे जुड़े खुफिया दस्तावेज शामिल हैं। लेकिन इसके बाद अब नेता जी से जुड़े अन्य दस्तावेज भी सार्वजनिक किए जाने की मांग तेज हो गई है, जिनमें ज्यादातर केंद्र सरकार के पास हैं। भारत के स्वाधीनता सेनानियों में जितने रहस्य नेताजी को लेकर बने हुए हैं, उतने किसी और को लेकर नहीं हैं। नेताजी ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 1942 में अपने घर में नजरबंद किए गए थे। वहाँ से गुपचुप निकल जाने के एक साल बाद उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया। देश की आजादी के लिए अपनी तरह से प्रयत्न करने वाले इस स्वाधीनता सेनानी की कोशिश ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में जर्मनी और जापान से मदद लेने की थी। इसे आधार बनाकर मित्र राष्ट्रों ने उन पर नाजीवादी या फासिस्ट होने का संदेह व्यक्त किया था। 1945 में हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु को लेकर स्थितियाँ कभी स्पष्ट नहीं हो पाईं। लोगों की उत्सुकता को देखते हुए 1956 के बाद इस मामले की जांच के लिए तीन शक्तिशाली आयोग गठित किए गए। इनमें शाहनवाज कमेटी और खोसला आयोग ने सही संपर्कों से जानकारी लिए बगैर ही यह मान लिया था कि उनकी मौत ताइवान के ताईहोक एयरबेस पर हुई थी। तीसरे, यानी मुखर्जी आयोग ने ताइवान सरकार से संपर्क किया तो उसने ऐसे किसी हादसे की सूचना से इनकार किया। बहरहाल, आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने महत्त्व नहीं दिया और वह खारिज हो गई। मुखर्जी उल्लेखनीय है कि नेता जी के परिवार के पत्र व्यवहार को देश की इंटेलिजेंस एजेंसियाँ काफी समय तक ट्रैक करती रहीं।
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ISBN 13 9788196097073
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 160
Author Dharmpal Bhardwaj
Editor 2023
GAIN IC6HK6Z94T8
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