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Patrakarita Ka Kala Adhyay
by   Manish Thakur (Author)  
by   Manish Thakur (Author)   (show less)
Patrakaritha Ka Kala Adhyay
Product Description

यह पुस्तक सन 2001 के दौर में चौबीस घंटे के चैनलों की शुरुआत के बाद भारतीय पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को समझने का एक प्रयास है!लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की जिम्मेदारी क्या रही है और एजेंडा के तहत पत्रकारिता के जुनून में क्या जिम्मेदारी निभाई गई है यह किताब उसी पर एक तथात्मक रिपोर्ट है! सोशल मीडिया के दौर में मेनस्ट्रीम मीडिया कहाँ है और उसके लिए चुनौती क्या है? इन चुनौतियों के सामने उसने संघर्ष किया या समर्पण! इस पर चर्चा जरुरी है!पत्रकारिता के छात्र के लिए यह समझना जरुरी है कि पत्रकारिता के इतिहास को जानकर उसके वर्तमान से आँखें नहीं मूंदी जा सकती है.


Contents

पहला अध्याय

क्रोनी कैप्टलि‍ज़्म और लुटियन मीडिया

सत्ता और मीडिया: किसने कितनी निभाई जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी की रिपोर्ट को भी खारिज करती रही मीडिया !

वह साक्षात्कार, जिसके बाद नरेंद्र मोदी ने मीडिया से दूरी बना ली.....

दूसरा अध्याय

कोयला खाती और हवा निगलती मीडिया

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला

कोयला घोटाला

राष्ट्रमंडल खेल घोटाला

कैश फॉर वोट मामला

तीसरा अध्याय

एनडीटीवी और हवाला कारोबार

कारोबारी प्रणय राय का अपनों से छूटता नाता

सीबीआई के चंगुल से एनडीटीवी की मुक्ति और नैतिक सरोकार से टूटता नाता

चैनल के एंकर की आईआरएस पत्नी पर लगा आरोप

प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में एनडीटीवी

एनडीटीवी पर आयकर विभाग द्वारा 642 करोड़ रुपये का जुर्माना

प्रणय राय के सामने एनडीटीवी नामक उनका साम्राज्य बिखरने लगा

चतुर्थ अध्याय

वेब लड़ाके

कुलभूषण पर द क्विंट

‘द कारवां’

द वायर

अपनी मानहानि को लेकर जय शाह ने अदालत में की शिकायत....

द प्रिंट

पांचवा अध्याय

सोशल मीडिया से बदली भारतीय राजनीति

सोशल मीडिया और कानून व्यवस्था का मसला

सोशल मीडिया ने हमारी जिंदगी बदल दी

अंकुश लगाने के बाद भी लगातार बढ़ती जा रही है ताकत

आम और खास के गुस्से का इजहार भी सोशल मीडिया पर..

सोशल मीडिया और राष्ट्रवाद का उभार

छठा अध्याय

मेन स्ट्रीम मीडिया और पूर्वाग्रह से भरी रिपोर्टिंग

सजाया‍फ़्ता लालू के प्रति मीडिया की हमदर्दी के मायने

गुजरात दंगा और लुटियन मीडिया

मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोकने के लिए मीडिया ने कैसे की साजिश !

जाति और मजहब से खबरों को रंगती मीडिया !

सीट को लेकर हत्या में मजहब का रंग

सातवा अध्याय

राष्ट्रवादी पत्रकारिता की आड़ में शरारत का खेल

सनसनीखेज महत्वपूर्ण तथ्य और खिलवाड़

राष्ट्रवाद का कंबल ओढ़कर घी पीने वाले सुधीर चौधरी

प्रणय राय NDTV अडानी का और रवीश कुमार की नैतिकता का प्रदर्शन

एनडीटीवी, रवीश कुमार और गोदी मीडिया का सच

Product Details
ISBN 13 9798885751162
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 248
Release Year 2023
Publishers Garuda Prakashan  
Category Entertainment & Sports   Non-Fiction  
Weight 250.00 g
Dimension 13.97 x 21.59 x 1.48

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यह पुस्तक सन 2001 के दौर में चौबीस घंटे के चैनलों की शुरुआत के बाद भारतीय पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को समझने का एक प्रयास है!लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की जिम्मेदारी क्या रही है और एजेंडा के तहत पत्रकारिता के जुनून में क्या जिम्मेदारी निभाई गई है यह किताब उसी पर एक तथात्मक रिपोर्ट है! सोशल मीडिया के दौर में मेनस्ट्रीम मीडिया कहाँ है और उसके लिए चुनौती क्या है? इन चुनौतियों के सामने उसने संघर्ष किया या समर्पण! इस पर चर्चा जरुरी है!पत्रकारिता के छात्र के लिए यह समझना जरुरी है कि पत्रकारिता के इतिहास को जानकर उसके वर्तमान से आँखें नहीं मूंदी जा सकती है.


Contents

पहला अध्याय

क्रोनी कैप्टलि‍ज़्म और लुटियन मीडिया

सत्ता और मीडिया: किसने कितनी निभाई जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी की रिपोर्ट को भी खारिज करती रही मीडिया !

वह साक्षात्कार, जिसके बाद नरेंद्र मोदी ने मीडिया से दूरी बना ली.....

दूसरा अध्याय

कोयला खाती और हवा निगलती मीडिया

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला

कोयला घोटाला

राष्ट्रमंडल खेल घोटाला

कैश फॉर वोट मामला

तीसरा अध्याय

एनडीटीवी और हवाला कारोबार

कारोबारी प्रणय राय का अपनों से छूटता नाता

सीबीआई के चंगुल से एनडीटीवी की मुक्ति और नैतिक सरोकार से टूटता नाता

चैनल के एंकर की आईआरएस पत्नी पर लगा आरोप

प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में एनडीटीवी

एनडीटीवी पर आयकर विभाग द्वारा 642 करोड़ रुपये का जुर्माना

प्रणय राय के सामने एनडीटीवी नामक उनका साम्राज्य बिखरने लगा

चतुर्थ अध्याय

वेब लड़ाके

कुलभूषण पर द क्विंट

‘द कारवां’

द वायर

अपनी मानहानि को लेकर जय शाह ने अदालत में की शिकायत....

द प्रिंट

पांचवा अध्याय

सोशल मीडिया से बदली भारतीय राजनीति

सोशल मीडिया और कानून व्यवस्था का मसला

सोशल मीडिया ने हमारी जिंदगी बदल दी

अंकुश लगाने के बाद भी लगातार बढ़ती जा रही है ताकत

आम और खास के गुस्से का इजहार भी सोशल मीडिया पर..

सोशल मीडिया और राष्ट्रवाद का उभार

छठा अध्याय

मेन स्ट्रीम मीडिया और पूर्वाग्रह से भरी रिपोर्टिंग

सजाया‍फ़्ता लालू के प्रति मीडिया की हमदर्दी के मायने

गुजरात दंगा और लुटियन मीडिया

मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोकने के लिए मीडिया ने कैसे की साजिश !

जाति और मजहब से खबरों को रंगती मीडिया !

सीट को लेकर हत्या में मजहब का रंग

सातवा अध्याय

राष्ट्रवादी पत्रकारिता की आड़ में शरारत का खेल

सनसनीखेज महत्वपूर्ण तथ्य और खिलवाड़

राष्ट्रवाद का कंबल ओढ़कर घी पीने वाले सुधीर चौधरी

प्रणय राय NDTV अडानी का और रवीश कुमार की नैतिकता का प्रदर्शन

एनडीटीवी, रवीश कुमार और गोदी मीडिया का सच

Product Details
ISBN 13 9798885751162
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 248
Release Year 2023
Publishers Garuda Prakashan  
Category Entertainment & Sports   Non-Fiction  
Weight 250.00 g
Dimension 13.97 x 21.59 x 1.48

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