My Cart

अंग्रेज़ी माध्यम का भ्रमजाल: “अंग्रेज़ी माध्यम का भ्रमजाल…” में लेखक संक्रान्त सानु ने आँकड़ों ‘केस स्टडीज़’ के आधार पर बड़े ही तार्किक तरीके से पाठकों को ये बताया है की अंग्रेज़ी की प्रभुता हमारे लिए महज सांस्कृतिक खतरा ही नहीं, बल्कि आर्थिक प्रगति में भी बाधा है. और, यदि समय रहते भाषा को लेकर जरूरी नीतिगत बदलाव नहीं किये गए तो आने वाले समय में हम भारतीय अपनी ही भाषाओँ को खो चुके होंगे।
कल्कि तू कहाँ है: स्वामी प्रणवानंद की जीवन गाथा 'मेजर जनरल जीडी बख्शी' द्वारा लिखित पुस्तक स्वामी प्रणवानंद के जीवन के बारे में बात करती है। उन्होंने अपने जीवन के 12 साल जंगल में बिताए और कैसे उनके श्रम का भुगतान हुआ। एक पुस्तक जो जीवन के प्रति आपके विचारों को बदल देगी, क्योंकि आप स्वामी प्रणवानंद के जीवन से बहुत कुछ सीखेंगे। अब गरुड़ की किताबों पर 'कल्कि तू कहाँँ है' की एक किताब प्राप्त करें।
ISBN 13 | 978-1942426158, 978-1942426080 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
GAIN | E5GR9JBTD1K |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Packages Pack of 2 Books |
Add a Review
अंग्रेज़ी माध्यम का भ्रमजाल: “अंग्रेज़ी माध्यम का भ्रमजाल…” में लेखक संक्रान्त सानु ने आँकड़ों ‘केस स्टडीज़’ के आधार पर बड़े ही तार्किक तरीके से पाठकों को ये बताया है की अंग्रेज़ी की प्रभुता हमारे लिए महज सांस्कृतिक खतरा ही नहीं, बल्कि आर्थिक प्रगति में भी बाधा है. और, यदि समय रहते भाषा को लेकर जरूरी नीतिगत बदलाव नहीं किये गए तो आने वाले समय में हम भारतीय अपनी ही भाषाओँ को खो चुके होंगे।
कल्कि तू कहाँ है: स्वामी प्रणवानंद की जीवन गाथा 'मेजर जनरल जीडी बख्शी' द्वारा लिखित पुस्तक स्वामी प्रणवानंद के जीवन के बारे में बात करती है। उन्होंने अपने जीवन के 12 साल जंगल में बिताए और कैसे उनके श्रम का भुगतान हुआ। एक पुस्तक जो जीवन के प्रति आपके विचारों को बदल देगी, क्योंकि आप स्वामी प्रणवानंद के जीवन से बहुत कुछ सीखेंगे। अब गरुड़ की किताबों पर 'कल्कि तू कहाँँ है' की एक किताब प्राप्त करें।
ISBN 13 | 978-1942426158, 978-1942426080 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
GAIN | E5GR9JBTD1K |
Publishers | Garuda Prakashan |
Category | Packages Pack of 2 Books |
Add a Review

Garuda Prakashan
₹628.00

Garuda Prakashan
₹628.00