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Bheem Uvaach

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Product Description
बाबासाहब विश्व की ऐसी विभूति हैं, जिन पर दशकों से साल भर कोई न कोई किताब आती ही रहती है । उनके जीवन और विचारों के तमाम पहलुओं पर रोशनी डालने वाले लेखकों की कमी नहीं है । इस नाते बहुत से पाठकों के दिल में यह बात उठ सकती है, एक और किताब किस लिए । इसमें ऐसा क्या खास तथ्य है कि पाठक इसे पढ़ें ही । हर रचना का एक महत्व होता है और हर लेखक की अपनी दृष्टि होती है । लेकिन इस रचना के पीछे मेरी एक अलग सोच और नज़रिया रहा है । इस पुस्तक को पढ़ कर पाठक मेरे किए गए श्रम का आकलन स्वतः कर सकते हैं । साथ ही इस बात को समझ सकते हैं कि यह रचना मेरी संघर्षयात्रा के दौरान एक लंबी सोच की परिणति है । यह कोई एकाध महीने के श्रम का परिणाम नहीं बल्कि एक लंबी यात्रा और साधना का हिस्सा है । लंबे समय तक भारतीय राजस्व सेवा में रहने के दौरान मैंने देश के तमाम हिस्सों में तैनाती और प्रशासनिक व्यस्तता के बाद भी समय निकाल कर उन पर अपना अध्ययन जारी रखा और समाज पर उसके असर की पड़ताल भी करती रही हूँ । मुझे हमेशा से यह महसूस होता रहा है कि सरल और सहज हिंदी भाषा में बाबासाहब से जुड़े उन तमाम अछूते पक्षों को सामने लाने की जरूरत है । मराठी में तो यह काम किया गया है, लेकिन हिंदी में अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है ।
Product Details
ISBN 13 | 9788196097035 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Total Pages | 182 |
Author | Preeta Harit IRS |
Editor | 2023 |
GAIN | CSWZ5H4F51B |
Product Dimensions | 5.50 x 8.50 |
Category | Packages Historical Books Package |
Weight | 100.00 g |
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बाबासाहब विश्व की ऐसी विभूति हैं, जिन पर दशकों से साल भर कोई न कोई किताब आती ही रहती है । उनके जीवन और विचारों के तमाम पहलुओं पर रोशनी डालने वाले लेखकों की कमी नहीं है । इस नाते बहुत से पाठकों के दिल में यह बात उठ सकती है, एक और किताब किस लिए । इसमें ऐसा क्या खास तथ्य है कि पाठक इसे पढ़ें ही । हर रचना का एक महत्व होता है और हर लेखक की अपनी दृष्टि होती है । लेकिन इस रचना के पीछे मेरी एक अलग सोच और नज़रिया रहा है । इस पुस्तक को पढ़ कर पाठक मेरे किए गए श्रम का आकलन स्वतः कर सकते हैं । साथ ही इस बात को समझ सकते हैं कि यह रचना मेरी संघर्षयात्रा के दौरान एक लंबी सोच की परिणति है । यह कोई एकाध महीने के श्रम का परिणाम नहीं बल्कि एक लंबी यात्रा और साधना का हिस्सा है । लंबे समय तक भारतीय राजस्व सेवा में रहने के दौरान मैंने देश के तमाम हिस्सों में तैनाती और प्रशासनिक व्यस्तता के बाद भी समय निकाल कर उन पर अपना अध्ययन जारी रखा और समाज पर उसके असर की पड़ताल भी करती रही हूँ । मुझे हमेशा से यह महसूस होता रहा है कि सरल और सहज हिंदी भाषा में बाबासाहब से जुड़े उन तमाम अछूते पक्षों को सामने लाने की जरूरत है । मराठी में तो यह काम किया गया है, लेकिन हिंदी में अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है ।
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ISBN 13 | 9788196097035 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Total Pages | 182 |
Author | Preeta Harit IRS |
Editor | 2023 |
GAIN | CSWZ5H4F51B |
Product Dimensions | 5.50 x 8.50 |
Category | Packages Historical Books Package |
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