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Bhartiya Chitrakala Ka Itihaas Praacheen Part – 1
Bhartiya Chitrakala Ka Itihaas Praacheen Part – 1
Product Description
प्रस्तुत ग्रन्थ में प्राचीन भारतीय चित्रकला की विवेचना इसी सन्दर्भ में की गई है। भारतीय चित्रकला में अनुस्यूत वैदिक ऋषियों के चित्रकला सम्बन्धी नियमों एवं सिद्धांतों की व्याख्या कर कलाकार के दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर उन्हें और अधिक उपादेय बनाने की पूरी कोशिश की गई है। प्राच्य कला विशेष रूप से चीन एवं जापान की चित्रकला का संक्षिप्त परिचय भारतीय सन्दर्भ में देकर हम अपने गरिमामयी अतीत की पुनर्विवेचना में सक्षम हो सकते हैं। अतः इसका भी समन्वय इस ग्रन्थ में किया गया है। भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला से लेकर गुहा-मंदिरों की कलाकृतियों तक का विषद् एवं सम्यक् अध्ययन इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया गया है, जिससे कला अध्येताओं को विशेष लाभ मिलेगा। निश्चय ही यह ग्रन्थ कला-जिज्ञासुओं एवं कला-रसिकों के लिए ही लिखा गया है। भारत के प्राचीन कला केन्द्रों का सघन भ्रमण और उनके विधिवत् अध्ययन एवं अनुशीलन के बाद लिखी गई इस पुस्तक में वहाँ की कलाकृतियों पर नवीन रूप से प्रकाश डाला गया है। हम उन सभी विद्वानों एवं कलामर्मज्ञों का आभारी हैं, जिनके महत्त्वपूर्ण विचारों को जानने के बाद इस पुस्तक का प्रणयन कर पाए। पुस्तक में विवेचित महत्त्वपूर्ण कृतियों के रेखांकन उन कलाविदों की कृतियों के सहारे बने हैं, जिन्होंने इन गुहा-मंदिरों की कलाकृतियों की प्रतिकृतियाँ बड़े परिश्रम एवं लगन से तैयार की थीं। अजन्ता भ्रमण के दौरान लेखक डॉ- श्यामबिहारी अग्रवाल अजन्ता रुक कर वहां के एक चित्र ‘‘बोधतत्व पदमपाण का रंगीन चित्र ऐग टेंपरा ने बनाया था तथा अनेक चित्रें का रेखांकन भी स्वयं किया था। जो यहां यथास्थान लगायें गये हैं।
Product Details
ISBN 13 9789394369528
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 216
Author Dr. Shyam Bihari Aggarwal and Dr. Jyoti Aggarwal
Editor 2022
GAIN XV75ZIRQYC2
Product Dimensions 5.50 x 8.50
Category Packages   Historical Books Package  
Weight 100.00 g

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प्रस्तुत ग्रन्थ में प्राचीन भारतीय चित्रकला की विवेचना इसी सन्दर्भ में की गई है। भारतीय चित्रकला में अनुस्यूत वैदिक ऋषियों के चित्रकला सम्बन्धी नियमों एवं सिद्धांतों की व्याख्या कर कलाकार के दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर उन्हें और अधिक उपादेय बनाने की पूरी कोशिश की गई है। प्राच्य कला विशेष रूप से चीन एवं जापान की चित्रकला का संक्षिप्त परिचय भारतीय सन्दर्भ में देकर हम अपने गरिमामयी अतीत की पुनर्विवेचना में सक्षम हो सकते हैं। अतः इसका भी समन्वय इस ग्रन्थ में किया गया है। भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला से लेकर गुहा-मंदिरों की कलाकृतियों तक का विषद् एवं सम्यक् अध्ययन इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया गया है, जिससे कला अध्येताओं को विशेष लाभ मिलेगा। निश्चय ही यह ग्रन्थ कला-जिज्ञासुओं एवं कला-रसिकों के लिए ही लिखा गया है। भारत के प्राचीन कला केन्द्रों का सघन भ्रमण और उनके विधिवत् अध्ययन एवं अनुशीलन के बाद लिखी गई इस पुस्तक में वहाँ की कलाकृतियों पर नवीन रूप से प्रकाश डाला गया है। हम उन सभी विद्वानों एवं कलामर्मज्ञों का आभारी हैं, जिनके महत्त्वपूर्ण विचारों को जानने के बाद इस पुस्तक का प्रणयन कर पाए। पुस्तक में विवेचित महत्त्वपूर्ण कृतियों के रेखांकन उन कलाविदों की कृतियों के सहारे बने हैं, जिन्होंने इन गुहा-मंदिरों की कलाकृतियों की प्रतिकृतियाँ बड़े परिश्रम एवं लगन से तैयार की थीं। अजन्ता भ्रमण के दौरान लेखक डॉ- श्यामबिहारी अग्रवाल अजन्ता रुक कर वहां के एक चित्र ‘‘बोधतत्व पदमपाण का रंगीन चित्र ऐग टेंपरा ने बनाया था तथा अनेक चित्रें का रेखांकन भी स्वयं किया था। जो यहां यथास्थान लगायें गये हैं।
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ISBN 13 9789394369528
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Binding Paperback
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Author Dr. Shyam Bihari Aggarwal and Dr. Jyoti Aggarwal
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