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Bhagwan Ki Khoj
by   S K Pandey (Author)  
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Bhagwan Ki Khoj
Product Description
भगवान् की खोज आज के समय में अधिकाँश लोग प्रश्न करते हैं कि क्या भगवान का अस्तित्व है ? यदि अस्तित्व है तो भगवान को किसने बनाया ? ऐसे अनेकों प्रश्न सहज ही लोगों के मन में उठते रहते हैं । और लोग इनका उत्तर जानना और समझना चाहते हैं । आधुनिक विज्ञान की नई-नई खोजें तथा उपलब्धियाँ भी काफी हद तक ऐसे प्रश्नों को उकेरने में मददगार रही हैं । सामान्यतः लोग समझते हैं कि आध्यात्म और विज्ञान बिल्कुल एक दूसरे के विरोधी हैं । और विज्ञान ईश्वर के अस्तित्व को नकार रहा है । इस पुस्तक में इन बातों को समझाने का प्रयास किया गया है। उद्धरणः सामान्यतः हम सोचते हैं कि जो हमारे लिए सत्य है, हमारे आस-पास की चीजों के लिए सत्य है । संसार के लिए सत्य है । वही भगवान के लिए भी सत्य होना चाहिए । यही सबसे बड़ी भूल है । और इसी भूल की वजह से हम संसार की दृष्टि से भगवान को देखना व समझना चाहते हैं । जो संभव नहीं है । भगवान और भगवान की सत्ता तक पहुँचते ही संसारिक नियमों की सीमा समाप्त हो जाती है । इसलिए जो भी बातें हम पर अथवा हमारे आस-पास की चीजों पर लागू होती हैं, उनका भगवान पर लागू होना जरूरी नहीं है। (इसी पुस्तक से ...)
Product Details
ISBN 13 9789384236816
Book Language Hindi
Binding Paperback
Total Pages 80
Edition 2015
Author S K Pandey
Category Religion   Religious, Spiritual and Pooja Items   
Weight 50.00 g

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भगवान् की खोज आज के समय में अधिकाँश लोग प्रश्न करते हैं कि क्या भगवान का अस्तित्व है ? यदि अस्तित्व है तो भगवान को किसने बनाया ? ऐसे अनेकों प्रश्न सहज ही लोगों के मन में उठते रहते हैं । और लोग इनका उत्तर जानना और समझना चाहते हैं । आधुनिक विज्ञान की नई-नई खोजें तथा उपलब्धियाँ भी काफी हद तक ऐसे प्रश्नों को उकेरने में मददगार रही हैं । सामान्यतः लोग समझते हैं कि आध्यात्म और विज्ञान बिल्कुल एक दूसरे के विरोधी हैं । और विज्ञान ईश्वर के अस्तित्व को नकार रहा है । इस पुस्तक में इन बातों को समझाने का प्रयास किया गया है। उद्धरणः सामान्यतः हम सोचते हैं कि जो हमारे लिए सत्य है, हमारे आस-पास की चीजों के लिए सत्य है । संसार के लिए सत्य है । वही भगवान के लिए भी सत्य होना चाहिए । यही सबसे बड़ी भूल है । और इसी भूल की वजह से हम संसार की दृष्टि से भगवान को देखना व समझना चाहते हैं । जो संभव नहीं है । भगवान और भगवान की सत्ता तक पहुँचते ही संसारिक नियमों की सीमा समाप्त हो जाती है । इसलिए जो भी बातें हम पर अथवा हमारे आस-पास की चीजों पर लागू होती हैं, उनका भगवान पर लागू होना जरूरी नहीं है। (इसी पुस्तक से ...)
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ISBN 13 9789384236816
Book Language Hindi
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